भारत ने स्पेशल ओलम्पिक में 173 मैडल जीतें हैं जिसमे गोल्ड, सिल्वर और ब्रोव्न्स तीनों शामिल हैं.
किसी भी भारतीय खिलाड़ी ने कभी भी इस तरह का कीर्तिमान रचा हैं तो बताएं.
आप कितना ही याद करने की कोशिश कर लीजिये, भारतीय खिलाड़ियों द्वारा किया गया ऐसा शानदार प्रदर्शन पुरे खेल इतिहास में नहीं मिलेगा आपको. लेकिन इसे देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि देश में मौजूद इतने बड़े-बड़े मीडिया हाउस और अखबारों में से किसी एक ने भी अपने न्यूज़ चैनल या अखबारों में भारतीय खिलाड़ियों द्वारा अर्जित इतनी बड़ी उपलब्धि को क्रिकेट या अन्य खेल की खबरों की तरह प्रमुख खबर बनायीं ही नहीं.
25 जुलाई 2015 से 02अगस्त 2015 तक लास एंजिल्स में चले इस स्पेशल ओलम्पिक में भारत के खिलाड़ियों ने अपने बेहतरीन खेल के प्रदर्शन से अन्य सभी टीमों को चौकातें हुए इस पूरी प्रतियोगिता में तीसरा स्थान हासिल किया हैं.
भारत की टीम के साथ इस ओलम्पिक में खेल रही बाकि टीमों में से USA की टीम पहले स्थान पर रही और चाइना की टीम ने इस ओलम्पिक में दूसरा स्थान प्राप्त किया.
इस पूरी प्रतियोगिता में भारतीय खिलाड़ी शुरू से ही अच्छे प्रदर्शन से अपने प्रशंसक बढ़ा रहे थे.
व्यक्तिगत खेल जैसे तैराकी में भारतीय खिलाड़ियों ने 7 पदक जीते. इसके साथ ही अन्य कई व्यक्तिगत खेलों में भी भारतीय खिलाड़ी जीत के इस सिलसिले को बरक़रार रखते हुए एथलेटिक में 47, बैडमिंटन में 10, साइकिलिंग में 23, गोल्फ में 2, पॉवर लिफ्टिंग में 32, रोलर स्केटिंग में 39 और टेबल टेनिस में 6 पदक जीतकर खेल इतिहास में भारत का सर ऊँचा कर दिया.
वहीँ टीम गेम्स जैसे बास्केटबॉल में भारतीय टीम ने 2 पदक अपने नाम किया. टीम गेम के बाकी खेल जैसे फुटबॉल में इंडिया टीम ने 1, सॉफ्ट बॉल में 1, वॉली बॉल में 1 और हैण्ड बॉल में 1 पदक हासिल किया. पदक की इस बरसात में भारत ने 47 गोल्ड, 54 सिल्वर और 72 ब्राउन मैडल जीता.
इस पूरी प्रतियोगिता में दुनिया के 177 देशों ने भाग लिया था जिसमे 6500 एथलीट इकठ्ठा हुए थे. जुलाई 25 से शुरू हुए इस ओलम्पिक का उद्घाटन में अमेरिकी प्रेसिडेंट बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा के हाथों किया गया था. भारतीय टीम की इस शानदार कामयाबी से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर ट्वीट कर के अपनी टीम को बधाई दी वही इंडिया टुडे ने भारतीय टीम द्वारा अर्जित की गयी सफलता को लोगों पहुचाया हैं.
लेकिन बाकि मीडिया का इस तरह के खेल के प्रति उदासीन रवैय्या आगे आने वाले खिलाड़ियों के लिए गलत साबित हो सकता हैं.
अपने खेल के बलबूते इन खिलाड़ियों ने पूरी दुनिया में तो वाहवाही लुटी हैं फिर भारत में इनसे ऐसा बर्ताव क्यों किया जाता हैं ये समझ से परें हैं.