बहस के लिए हमेशा तैयार – भारतीयों की दिलचस्पी काम से ज़्यादा बेकार की बहसबाज़ी में रहती है, अगर किसी ने कोई टॉपिक छेड़ दिया तो लोग अपना काम-धंधा छोड़कर लग जाते हैं उस पर बहस करने, भले ही उनकी बहस से कोई बदलाव न हो, मगर इससे उनके केलजे को ठंडक पड़ जाती है और किसी विषय पर अपना ज्ञान बघारने का उन्हें मौका मिल जाता है.
वैसे तो भारतीय किसी भी मुद्दे पर बहस के लिए हमेशा तैयार हो जाते हैं, मगर कुछ विषय उनके फेवरटे होते हैं.
चलिए आपको बताते हैं बहस के लिए हमेशा तैयार भारतीयों के पसंदीदा विषय कौन-कौन से है.
बहस के लिए हमेशा तैयार होते है भारतीय –
१ – राजनीति
ये बहस का सबसे प्रिय टॉपिक है. बात राजनीतिक पार्टी की हो या नेताओं के घोटाले और अफेयर की इस पर बहस करने में लोगों को बड़ा मज़ा आता है. हमारे देश में वैसे भी ढेर सारी पार्टिया हैं तो लोगों को बहस के लिए ढेर सारी बातें भी मिल जाती हैं. कोई एक पार्टी की तारीफ करता है तो दूसरा उसकी आलोचना शुरू कर देते है. कई बार तो ये बहस इतनी बढ़ जाती है लोग हाथापाई पर भी उतर जाते हैं. अधिकांश लोगों तो मुद्दे की जानकारी भी नहीं होती, बस कुछ कहना है इसलिए बहस में कूद पड़ते हैं और मज़ा लेते हैं.
२ – धर्म
ये विषय भी लोगों को बहुत पसंद है. धर्मनिरपेक्ष देश भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं. ऐसे में कई बार अपने फायदे के लिए कुछ दल किसी खास धर्म के लोगों को आहत करके धर्म की आड़ में दंगे भड़काने का काम करते हैं. धर्म का मामला कितना संवेनशील है ये आपको राम मंदिर मुद्दे से समझ आ सकता है, जिसे लेकर ज़बर्दस्त दंगा हुआ था.
३ – नेहरू-गांधी
नेहरू और गांधी से जुड़ी बातें आज भी लोगों को आकर्षित करती है, तभी तो लोग इनके बारे में बहस करते रहते हैं. नेहरू की लग्ज़ीरियस लाइफस्टाइल और अफेयर पर जहां लोगों को बहस करना पसंद है, वहीं देश के बंटवारे के लिए आज भी कई लोग गांधी को ज़िम्मेदार ठहराते हैं और एक बार अगर इन दोनों पर बस छिड़ गई तो लोग चुप होने का नाम ही नहीं लेते.
४ – किक्रेट
हमारे देश में क्रिकेट सिर्फ़ एक खेल नहीं, बल्कि धर्म बन गया है. इससे लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. क्रिकेट के अलावा भारतीयों की बाकी खेलों में कोई खास दिलचस्पी नहीं है. क्रिकेट के प्रति लोगों में इतनी दीवानगी है कि खेल के साथ ही वो क्रिकेटर्स की पर्सनल लाइफ के बारे में भी जानना चाहते हैं. जब कभी क्रिकेट का मैच होता है तो हर जगह लोग बस इसी की चर्चा करते नज़र आएंगे.
५ – राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ
आरएसएस प्रभावशाली संगठन है. हालांकि, इससे पहले कई बार इस पर प्रतिबंध भी लग चुका है. पहली बार महात्मा गांधी की हत्या के बाद, दूसरी बार आपातकाल के दौरान और तीसरी बार बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय. हिंदुत्व को बढ़ावा देने के नाम पर आरएसएस की गतिविधियों की कुछ लोग आलोचना करते हैं, तो कुछ लोग इसे सही ठहराते हैं, जब कभी भी आरएसएस का नाम लिया जाता है, तब लोगों के बीच बहस हो ही जाती है.
भारतीय बहस के लिए हमेशा तैयार रहते है – आपको भी इन में से किसी न किसी मुद्दे पर बहस करना ज़रूर पसंद होगा, हो सकता है इसे पढ़ने के बाद आप बहस के लिए लोगों की तलाश कर रहे हों.
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