जीवन शैली

कम छुट्टी लेने के मामले में भारतीयों का स्थान है चौथा

अब तक दुनिया में लोगों की मानसिकता यही है कि काम करने के मामले में भारतीय सबसे आगे रहते हैं और वे दूसरे देशवासियों के मुकाबले सबसे कम छुट्टी लेते हैं.

लेकिन एक रिसर्च ने इस बात को झुठलाते हुए साबित कर दिया है की सबसे कम छुट्टी लेने में भारतीय भी दूसरे कई देशों से पीछे हैं.

चलिए जानते हैं कि आखिर किस देश के नागरिक काम के मामले में सबसे आगे हैं और कौन हैं सबसे पीछे.

अब सोचने वाली बात ये है कि अगर कम छुट्टियां लेने के मामले में भारतीयों का स्थान चौथा है तो भी कम नहीं है. दुनिया भर में दो चार ही देश नहीं है बल्कि बहुत सारे देश हैं.

उन सब में भारतीयों का चौथा स्थान इस बात को साबित करता है कि वाकई में भारतीय बहुत कम छुट्टी लेते हैं. अब सोचने वाली बात है कि आखिर उनके कम छुट्टियां लेने के पीछे की वजह क्या है ?

सर्वे के आधार पर हम आपको बताते हैं कम छुट्टी लेने के पीछे के कुछ कारणों के बारे में. इस रिसर्च में देश के 68 फीसदी भारतीयों का कहना है कि उन्हें कई बार अपनी छुट्टियां रद्द करनी पड़ती है तो कई बार टालने की नौबत आ जाती है. निश्चित रूप से ये देश वासियों के काम के प्रति लगन और समर्पण को दर्शाने का काम करता है लेकिन अगर दूसरे पहलू की बात करें तो ये सवाल भी जहन में उठता है कि आखिर भारतीय कम छुट्टी क्यों ले पाते हैं ? क्या कम छुट्टी लेने का मतलब बेहतर प्रदर्शन से होता है ? तो चलिए जानते हैं कि दूसरे विकसित देशों के आंकड़े क्या कहते हैं.

अमेरिकी सबसे कम छुट्टियां लेते हैं

आपको जानकर हैरानी हो लेकिन ये सच है कि अमेरिका में किसी भी पेड वैकेशन लीव का नियम है ही नहीं. पूरे साल में 10 सार्वजनिक छुट्टियां दी जाती हैं लेकिन बावजूद इसके विश्वभर में छुट्टी लेने के मामले में अमेरिकी कर्मचारी सबसे निचले पायदान पर हैं. कर्मचारियों के औसत अंक की बात करें तो साल भर में 1836 घंटे अमेरिकी काम करते हैं जो कि विश्व भर में सबसे अधिक है. अमेरिका से काफी आगे हैं यूरोपियन.

ब्राजील में 41 पेड छुट्टियां दी जाती है जोकि सबसे अधिक है. फ्रांस की बात करें तो वहां साल भर में कुल 31 छुट्टियां दी जाती है. ऑस्ट्रेलिया में 38 छुट्टियां मिलती है. पुर्तगाल की बात करें तो वहां साल भर में 35 छुट्टियां दी जाती है. स्पेन के कर्मचारियों को 34 छुट्टियां मिलती है जबकि इटली के कर्मचारियों को कुल 33 छुट्टियां दी जाती है. जर्मनी, बेल्जियम और न्यूजीलैंड में साल भर में कुल 30-30 छुट्टियां दी जाती है. आयरलैंड में कर्मचारियों को 29 छुट्टियां मिलती है जबकि ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में साल भर में 28 छुट्टियों का नियम है. नार्वे में 27 छुट्टियां दी जाती है. ग्रीस वासियों को 26 छुट्टियां दी जाती है. फिनलैंड, डेनमार्क और स्वीडन के कर्मचारियों को साल भर में 25-25 छुट्टियां दी जाती है जबकि स्विटज़रलैंड और नीदरलैंड्स में 20-20 छुट्टियों का नियम है. तो वहीं कनाडा में 19 जबकि जापान में साल भर में 10 छुट्टियां दी जाती है.

भारत देश की बात करें तो साल भर में भारतीयों को 28 छुट्टियों का नियम है जिनमें (पेड छुट्टियां 12 और सार्वजनिक अवकाश 16 दी जाती है.) तो वहीं चीन में कर्मचारियों को साल भर में कुल 21 छुट्टियां दी जाती है जिनमें (पेड लीव 10 और सार्वजनिक अवकाश 11 मिलती है.)

अब इस सर्वे को अगर आप ध्यान से पढ़ेंगे तो इस बात का यकीन तो हो जाएगा कि कम छुट्टियां लेने का मतलब ये नहीं होता है कि उनका प्रदर्शन बेहतर हो. क्योंकि ऐसे कई देश हैं जो कम छुट्टियां लेने के बावजूद काफी अच्छा प्रदर्शन करते हैं. उदाहरण के तौर पर कम छुट्टियां लेने के मामले में छठे स्थान पर आने वाले देश न्यूजीलैंड में कर्मचारियों के काम करने की बात करें तो साल भर में 1762 घंटे करते हैं जबकि वहां बेरोजगारी दर 6.9 फ़ीसदी ही है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार न्यूजीलैंड के विकास दर की बात करें तो ये अगले कई सालों तक विकसित देशों से कहीं अधिक रहने वाली है.

जबकि छुट्टियों के मामले में अमेरिका सबसे कम है बावजूद इसके वहां बेरोजगारी दर 10 फ़ीसदी से कहीं अधिक है.

भारतीय नहीं ले पाते हैं छुट्टियां

भारतीय कर्मचारियों की बात करें तो ऐसी बात नहीं है कि उन्हें छुट्टियों की जरूरत नहीं है या फिर वे लेना ही नहीं चाहते. सर्वे के अनुसार 54 फ़ीसदी भारतीय ऐसे हैं जिन्हें अपनी सैलरी बढ़ाने से अधिक छुट्टियों की संखिया बढ़ाने की आवश्यकता लगती है. लेकिन कई मजबूरियों के कारण वो छुट्टियां ले नहीं पाते. 70 फ़ीसदी मामले ऐसे हैं जिनमें बॉस छुट्टी तो देते हैं लेकिन बावजूद इसके भारतीय कर्मचारी छुट्टी ले पाने में असमर्थ होते हैं क्योंकि कहीं ना कहीं काम का बोझ उनके ऊपर अधिक होता है या फिर विशेषज्ञों की मानें तो वे अपने काम के प्रति ज्यादा समर्पित होते हैं. तो वहीं 68 फ़ीसदी भारतीयों का कहना है कि कई बार उन्हें अपनी छुट्टियां रद्द करनी पड़ जाती है.

खैर बात जो भी हो ये सर्वे इस बात को साबित करति है कि अधिक काम करना मतलब सफलता की गारंटी नहीं होती बल्कि लगातार छुट्टी लिए बिना ही काम करते रहने से बेहतर है कि छुट्टियां लें जिससे मेंटली और फिजिकली दोनों तरह से आराम मिले और कर्मचारियों की उत्पादकता पर इसका बुरा प्रभाव ना पड़े.

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