युवा आबादी – चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा आबादी युवाओं की है और 2025 के बाद इस मामले में भारत चीन को पछाड़ देगा।
इस कारण ही यंगिस्तान वाले इंडिया के तरफ पूरी दुनिया की नजर है। क्योंकि अधिक युवा आबादी होने का मतलब है अधिक उत्पादकता और काम। लेकिन यह युवा आबादी भारतीय कृषि के लिए अभिशाप बन गई है।
हम सब बचपन ही से सुनते आ रहे हैं कि भारत एक कृषिप्रधान देश है। लेकिन इस कृषि प्रधान देश में आज की युवा आबादी कृषि से ही अपना मुंह मोड़ रही है। इन का पलायन खेती से कॉर्पोरेट वर्ल्ड की ओर हो रहा है जो आपको गाड़ी-घर और एक अच्छी जॉब देती है। जिसमें महीने के अंत में पैसे आने की गारंटी होती है। जबिक कृषि में ऐसा नहीं है। इसके उलट कृषि में बहुत सारी मेहनत है और फल भगवान भरोसे।
एक नजर रिपोर्ट पर
कृषि मंत्रालय का फसल संबंधी नवीनतम अनुमान बताता है कि वर्ष 2017-18 में बागवानी (नर्सरी उद्योग) ने, कृषि की तुलना में ज्यादा बढ़ोतरी पाई है। वहीं 2014 से 2015 में सूखे के कारण खादान्नों की पैदावार में अस्थिरता और गिरावट देखी गई है जिसके कारण सैकड़ों किसानों ने आत्महत्या की।
कृषि के लिए अभिशाप बनी बढ़ती आबादी
साल दर साल भारत की आबादी बढ़ रही है। आबादी बढ़ना मतलब अनाज की ज्यादा जरूरत। लेकिन इस जरूरत के अनुसार अनाज की पैदावार नहीं हो रही है क्योंकि किसान नहीं है। जिसके कारण अभी फिलहाल भारत की बढ़ती आबादी देश के लिए उतनी बड़ समस्या नहीं बनी है जितनी यह कृषि के लिए बन गई है।
5 फीसदी युवा आबादी जुड़ी है कृषि से
मुश्किल से 5 फीसदी युवा आबादी ही कृषि से जुड़ी हुई है जबकि ग्रामीण आबादी की करीब 60 फीसदी संख्या खेती और संबंधित गतिविधियों से जुड़ी है। जिससे की स्पष्ट होता है कि आधुनिया युवाओं का कृषि से मोहभंग हो रहा है। वैसे भी साफ बात है कि आज के जमाने में किसी भी युवा का सपना यह तो बिल्कुल भी नहीं होगा कि वह बड़े होकर किसान बनेगा। यहां तक की किसान खुद नहीं चाहता कि उसका बच्चा बड़ा होकर उसकी तरह जिंदगी भर खेती करें। इसलिए तो हर साल बिहार और यूपी के गांवों से सबसे ज्यादा बच्चे शहर आते हैं।
कृषि की आबादी हो रही बूढ़ी
इसके परिणामस्वरूप काफी हद तक युवाओं ने कृषि को तिलांजली दे दी है। इसका नतीजा यह हुआ है कि कृषि में लगी आबादी बूढ़ी हो रही है। कृषि के भविष्य के लिहाज से ऐसा होना बुरा है क्योंकि इससे कृषि अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच पाने में सफल नहीं हो पा रहा है और इस कारण ही इंडिया की यंगिस्तान आबादी ही देश के लिए अभिशाप बन रही है।
कृषि के लिए युवा आबादी अहम
जिस तरह से अन्य सेक्टरों के लिए युवा आबादी अहम है उसी तरह से कृषि के लिए भी युवाओं की भागीदारी अहम है। क्योंकि वे अधिक ऊर्जावान और उत्पादक होने के साथ ही नए विचारों एवं उन्नत तकनीक अपनाने के मामले में काफी उदार होते हैं। इसके अलावा युवाओं में जोखिम लेने का साहस भी होता है और वे धारा के विपरीत जाकर भी काम करने से नहीं चूकते हैं। और, कृषि ही एक ऐसा क्षेत्र है जहां सबसे कम इंवेंशन अब तक हुई है जबकि असफल होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है।
आईसीएआर ने की आर्या योजना शुरू
युवाओं की इसी अहमियत को देखते हुए और उन्हें कृषि से जोड़ने के लिए भारती कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने युवाओं को कृषि की तरफ आकर्षित करने के लिए 2015-16 में आर्या योजना की शुरुआत की थी। आर्या योजना के तहत लगभग 14 लाख युवाओं को हर साल रोजगारपरक प्रशिक्षण दिया जाएगा। लेकिन अब तक इसका विस्तार केवल 25 जिलों तक ही हो पाया है।
उम्मीद करते हैं कि सरकार की यह योजना काम करेगी। क्योंकि कृषि नहीं होगी तो अनाज नहीं होगा जिससे भूखमरी की समस्या पैदा होगी और फिर इस समस्या का कोई इलाज नहीं होगा।
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