बेमिसाल टीवी सीरियल – मनोरंजन का पसंदीदा माध्यम टेलीविजन ने अपने 50 वर्षों से अधिक अंतराल में, दर्शकों को कई यादगार धारावाहिक दिए हैं। जो न सिर्फ टेलीविजन के शुरुआती धारावाहिकों में एक हैं बल्कि वे अपने कहानी-संप्रेषण के साथ आम-जनजीवन के प्रति सचेत भी रहे थे। जोकि वर्तमान सीरियल में देखा नहीं जाता है।
समय के इस दौर में टी.वी पर केवल रिएलिटी डॉज़ या काल्पनिक कहानियों को प्राथमिकता दी जा रही है, जो दर्शकों के लिए फैशन या टाइमपास से अधिक कुछ नहीं है। साथ ही टेलीविजन में प्रतिद्वंदी सीरीयल की संख्या ऐसी है कि दर्शकों को बोरियत महसूस होती है क्योंकि वे सभी धारावाहिक एक-समान ही लगते हैं। हालांकि भारत में टेलीविजन के शुरुआती समय में जो धारावाहिक दिखाए गये, वो संख्या में कम थे और एक दूसरे से अलग भी।
टेलीविजन के शुरुआती इतिहास में हमलोग, बुनियाद, चित्रहार, महाभारत, रामायण ऐसे कुछ धारावाहिक है जो मनोरंजन के साथ आम लोगों से संबंध रखते थे। इन बेमिसाल टीवी सीरियल – धारावाहिकों को देखने के लिए लोग, अपना कामकाज छोड़कर टेलीविजन के सामने बैठ जाते थे। कई लोग इन धारावाहिकों के इंताजर में रहते भी थे। हालांकि अब जो टेलीविजन में दिखाए जा रहे हैं वो महज टाइम पास के समान ही हैं। तो ऐसे में याद करते हैं टेलीविजन के इतिहास में उन बेमिसाल धारावाहिकों को जिन्हें लोग अबतक नहीं भूले हैं।
बेमिसाल टीवी सीरियल –
१ – हमलोग
टेलीविजन के इतिहास में बहुचर्चित धारावाहिक हमलोग। इसमें मध्यम वर्ग की परेशानी को नाटकीय ढंग से दिखाया गया था। यह 7 जुलाई 1984 को टेलीकास्ट हुआ। जिसे लोकप्रिय लेखक मनोहर श्याम जोशी ने रचनाबद्ध किया था, यह 154 एपिसोड के साथ वर्ष 1985 में समाप्त हो गया था।
२ – बुनियाद
इस धारावाहिक में बंटवारे के दौरान आम जनों की दैनिक जिंदगी में आने वाले बदलाव को मुख्य रूप से दिखाया गया। साथ ही साथ प्यार और जीने की इच्छा के बल को प्राथमिकता से दिखाया था। यह सीरियल बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक रमेश सिप्पी ने निर्देशिक किया था जिसे लिखा लेखक मनोहर श्याम जोशी जी ने। यह वर्ष 1986 में प्रसारित होने वाला यादगार धारावाहिक है।
३ – करमचंद
जासूसी धारावाहिक की बात करें तो इस समय सिर्फ क्राइम पेट्रोल और ऐतिहासिक सी. आई. डी ही याद आते है लेकिन जासूसी धारावाहिकों की फेहरिस्त में सबसे पहले करमचंद ने भारतीय टेलीविजन में कदम रखा। जो अपने सहायक के साथ अपराध के रहस्यों से पर्दा उठाता था। यह 1985 में प्रसारित हुआ। इसके निर्देशक पंकज पाराशर हैं।
४ – रामायण
यह ऐतिहासिक पौराणिक धारावाहिक है जिसका निर्देशन रामानंद सागर ने किया था जो 25 जनवरी 1987 को टेलीवीजन पर मूलरूप से टेलीकास्ट हुआ। यह पौराणिक-धार्मिक धारावाहिकों में मील का पत्थर सिद्ध हुआ है। जिसे लोग यू-ट्यूब में अब भी देखना पसंद करते हैं।
५ – नुक्कड़
लोगों की दैनिक समस्याओं को उजागर करने वाला यह धारावाहिक, 1986 और 1987 के बीच प्रस्तुत हुआ। जिसे दिवंगत कुंदन शाह और सईद मिर्ज़ा की जोड़ी ने निर्देशित किया था। जबकि कहानी लेखक प्रबोध जोशी द्वारा लिखित है।
६ – चित्रहार
गानों की गीतमाला यानी चित्रहार को लोग प्रति साप्ताहिक चित्रहार में देखते थे। यह गानों का ऐसा काउन डाउथ था जिसमें गीतों के बारे में बताकर फिर गानों को सुनाया जाता था। टेलीविजन का यह धारावाहिक अब भी दूरदर्शन में टेलीकास्ट होता है।
भले ही, टेलीविजन के ये बेमिसाल टीवी सीरियल टेलीकास्ट नहीं होते हैं मगर यह सभी धारावाहिक टेलीविजन के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुए है ।