धर्म और भाग्य

ये अन्धविश्वास जो आज भी हमारा पीछा नहीं छोड़ते और हमें बर्बाद कर रहे हैं!

हम सब जानते हैं कि अन्धविश्वास कितना नुक्सान पहुँचा सकते हैं लेकिन बचपन से ही हमारे दिमाग़ में इतनी सारी रूढ़िवादी और अंधविश्वासी बातें भर दी गयी हैं कि उनसे निजाद पाना बहुत ही मुश्किल हो गया है!

ये अन्धविश्वास न सिर्फ़ हमारे लिए ख़राब साबित होते हैं बल्कि सभी के लिए कठिनाईयाँ पैदा करते हैं!

ज़रा पढ़ के बताईये इन में से कौन-कौन से अंधविश्वास आप भी मानते हैं:

1) काली बिल्ली रास्ता काट जाए तो कुछ बुरा होता है!
अरे बिल्ली को थोड़ी न पता है कि आप उसके रास्ते में आने वाले हैं!

2) खुली छत पर रात में सफ़ेद कपड़े नहीं सुखाने चाहियें, उन में नेगेटिव एनर्जी आ जाती है!
अब तो वैसे भी बिल्डिंगों का ज़माना आ रहा है, छत किसे मिलने वाली है?

3) हफ़्ते के जिस दिन आपका जन्म हुआ है, उस दिन नाख़ून मत काटना वरना ज़िन्दगी घट जायेगी!
अब नाखूनों का ज़िन्दगी से क्या लेना देना है?

4) जूतों के ऊपर जूते पड़े हों तो जल्द ही आप घूमने जाएँगे!
और जिनका काम ही घूमने का हो, जैसे कि सेल्समेन या गाइड उनके जूते एक के ऊपर एक ही पड़े रहते हैं?

5) रात को कुत्ते रोयें तो आपके घर में किसी की मौत होगी!
अरे यार अब बेचारे कुत्तों को जी भर के रोने तो दो, हमारी मूर्खता पर!

6) घर में मौत हो और फिर कुछ ही दिन में उस घर की कोई औरत गर्भवती हो जाए तो मतलब वो मृत व्यक्ति दोबारा जन्म ले रहा है!
बच्चे के पहला जन्म भी तो हो सकता है, ज़रूरी है पुनर्जन्म करके वहीं पैदा होगा?

7) बाएँ हाथ में खुजली तो पैसे आएंगे, दाएँ हाथ में खुजली तो पैसे जाएँगे
बैंक में कब पड़े रहेंगे? या पड़े-पड़े अंडे कब देंगे? या दुगुने कब होंगे? कहाँ-कहाँ खुजाना होगा?

8) किसी के अंतिम संस्कार से वापस आएँ तो तुरंत नहा लें वरना बुरी आत्मा का प्रकोप होगा
मतलब आत्माएँ नहाये-धोये लोगों को पसंद नहीं करतीं?

9) घर के पास उल्लू दिख जाए तो मतलब बुरा होगा
आपने घर ख़रीदा है, उल्लू के रहने की जगह नहीं! उसकी मर्ज़ी जहाँ मर्ज़ी बैठे, जहाँ मर्ज़ी उड़े!

10) हिचकी आ रही हो तो कोई आपको याद कर रहा है!
डकार आये तो? नींद आये तो? सपने आएँ तो? और बाथरूम में जो कुछ आता है, वो आये तो?

उम्मीद है आप इन सभी ढकियानूसी अंधविश्वासों को नहीं मानते होंगे! मानते भी हैं तो ज़रा सोचिये कि क्या मानना चाहिए?

ज़रा प्रैक्टिकल होकर जीना सीखिये, इन सब में कुछ नहीं रखा साहब!

Nitish Bakshi

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