अंधविश्वास – सुनीता अभी घर सी बाहर निकली ही थी कि उसे छींक आ गई।
ऐसे में उसकी मां ने उसे तुरंत घर से निकलने से रोक लिया। फिर 2 मिनट के बाद जाने के लिए कहा। सुनीता को ये अंधविश्वास अजीब लगता है लेकिन वह कभी इन बातों के खिलाफ नहीं जाती है, क्योंकि वह जितनी आधुनिक है उतनी ही वह पुराने जमाने की चीजों की इज्जत भी करती है और मानती है कि पहले जो चीजें थीं वह किसी ना किसी कारण से ही थी। इसलिए काला टीका लगाने या बांधने पर जब भी उसके दोस्त उसका मजाक उड़ाते हैं तो वह बिना कुछ कहे मुस्कुरा बात को टाल देती है।
लेकिन आप में से शायद ही कोई ऐसा नहीं करता होगा और पुराने जमाने की चीजों को अंधविश्वास मान कर टाल मजाक उड़ाता होगा। अगर हां तो, अफसोस है कि आप गलत हैं। क्योंकि पुराने जमाने की कुछ चीजें गलत हो सकती हैं लेकिन सब नहीं।
तो चलिए आज हम उन्हीं अंधविश्वासों पर बात करते हैं जिनपर आप भरोसा ना कर के गलत कर रहे हैं।
भारतीय अंधविश्वास –
रात को नाखून काटना
रात को नाखून काटने की मनाही है। इसका उल्लेख धर्मग्रंथों में भी किया गया है। लेकिन आज शायद ही कोई इसे मानता होगा। जबकि इस मान्यता को साइंटफिकली सही भी माना गया है। यह पुराने जमाने से चली आ रही मान्यता है। जिसके पीछे लोगों का मानना है कि रात को नाखून काटने से कुछ हादसा हो जाता है। अब लोग इसे हंसी में टालते हैं और रात में नाखून काटकर बोलते हैं मेरे साथ तो कुछ हादसा नहीं हुआ।
कैसे पड़ी यह मान्याता- पुराने जमाने में रात को बिजली नहीं होती थी और ना पुराने जमाने में नेलकटर होते थे। इसलिए रात में अंधेरे में लोग ब्लेड या चाकू से नाखून काटने के दौरान होने वाले हादसे से बचने के लिए ऐसा कहा करते थे जो सही भी है। आज भी रात की एलईडी लाइट की इतनी अधिक रोशनी नहीं होती है कि आपको ब्लेड से नाखून काटने के दौरान बचा सके। नेलकटर से नाखून काटना सही है लेकिन ब्लेड और छूरी से नहीं।
घर में रात को झाड़ू लगाना
इसी तरह से घर में रात को झाड़ू लगाना भी मना होता है। माना जाता है कि रात को झाड़ू लगाने से लक्ष्मी चली जाती है। इसका आज के जमाने में सबसे ज्यादा मजाक उड़ाया जाता है। लेकिन इसके पीछे भी एक कारण था।
कैसे पड़ी यह मान्याता- पुराने जमाने में रात को बिजली नहीं होती थी। ऐसे में रात में अंधेरे में झाड़ू लगाने से नीचे गिरे हुए पैसों का बाहर निकल जाने का डर था। जिसके कारण से पहले रात में झाड़ू लगाने से मना किया जाता था।
घर के दरवाजे पर नीबू मिर्च टांगना
भारत के लगभग हर घर और दुकान में यहां तक की बड़े बड़े शोरूम्स में आपको नीबू और मिर्च की एक माला टंगी दिख जाएगी। लोगों को मानना है कि यह माला घर और दुकान या जिस जगह पर भी वो माला टंगी है उसको बुरी नजर से बचाता है। माना जाता है कि नींबू का खट्टा और मिर्च का तीखा स्वाद बुरी नजर वाले व्यक्ति की एकाग्रता भंग कर देता है। जिससे वह अधिक समय पर घर या दुकान को नहीं देख पाता है। इसी चीज का सब मजाक उड़ाते हैं। लेकिन इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण है।
कैसे पड़ी यह मान्याता- नींबू में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो आसपास के वातावरण को कीटाणु मुक्त बनाते हैं। जब नींबू और मिर्च को सूई से छेद कर आपस में धागे से जोड़ा जाता है तो नींबू और मिर्च में महीन छेद हो जाते हैं जिससे हल्की-हल्की खुशबू वातावरण में बिखरते रहती है और आसपास कीटाणु और मक्खी-मच्छर जमा नहीं होते हैं।
एग्जाम से पहले दही शक्कर खिलाने का रिवाज
माना जाता है कि एक्ज़ाम से पहले दही-शक्कर खाकर निकलने से एक्जाम अच्छा जाता है। हर किसी की मम्मी भी बिना दली-शक्कर खाए एक्जाम जाने नहीं देती है। इसका भी लोग मजाक उड़ाते हैं और एक्जाम बुरा जाता है तो ऐसी मान्यताओं पर गुस्सा उतारते हैं। जबकि दही-शक्कर का रिवाज किसी और कारणों से शुरू हुआ था और इसे खाने से सच में ही एक्जाम अच्छा जाता है।
कैसे पड़ी यह मान्याता- अक्सर एक्जाम गर्मियों में पड़ते है। तो वातावरण का तापमान और एक्जाम की नर्वसनेस से बॉडी प्रेशर में आ जाती है जिससे बीपी के हाई और लो होने का खतरा रहता है। बीपी की इसी समस्या और बाहर के तापमान से शरीर का सुंतलन बनाए रखने के लिए दही-शक्कर खिलाया जाता है। जिससे कि एक्जाम के समय तबीयत कराब ना हो और पूरा ध्यान एक्जाम लिखने में हो।
शगुन में एक रुपया देना
भारत में रिश्तेदारों के बीच रुपयों का लेनदेन बहुत चलता है। यहां लोग रुपया देकर लोगों को सम्मान देते हैं। ऐसे में एक का सिक्का भी देना जरूरी माना जाता है। किसी भी शुभ मौके में अगर किसी तरह का कोई राशि दी जाती है तो उसके साथ एक रुपया जरूर दिया जाता है।
कैसे पड़ी यह मान्याता- दरअसल एक से गिनती शुरू होती है। ऐसे में एक रुपया देने का मतलब है कि आपके पास पैसे आने शुरू गए हैं और अब पैसे आने लगेंगे। जैसे कि जब हम 101 रुपया देते हैं तो उसमें 100 अपने आप में पूरा रुपया है और 1 रुपया मतलब की आपको और मिलेगें। ये उसी तरह से है जैसे एक लाख रुपये में से एक रुपया हटा दें तो वह एक लाख रुपया नहीं रहता है।
तो समझे आप पुराने जमाने की मान्यता या अंधविश्वास । इसलिए किसी भी पुरानी चीजों का मजाक उड़ाने से पहले उसके पीछे का कारण जरूर जान लेना चाहिए। ये हर किसी के लिए अच्छा होता है। क्योंकि कोई भी चीज एक कारण से ही शुरू होती है। हां केवल चीजें पर आंख बंद कर विश्वास ना करें।
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