जासूसी की दुनिया में भारत का जिक्र कभी कभार ही होता था.
लेकिन पिछले कुछ वर्षों से भारत के जासूस को लेकर न केवल कई किस्से बाहर आए हैं बल्कि उनको लेकर भी फिल्में भी बनी है. जासूसी की दुनिया के किस्से जितने हैरतअंगेज होते हैं उतने खतरनाक और जोखिम भरे भी.
भारत के देश के बाहर भारत के जासूस को लेकर जिन नामों की अक्सर चर्चा होती है उनमें से अधिकांश नाम पाकिस्तान में जासूसी को लेकर चर्चा में रहे हैं.
ये वे भारत के जासूस है जिन्होंने पाकिस्तान में रहकर उसकी नाक में दम कर दिया.
भारत के जासूस –
1 – सरबजीत सिंह
सरबजीत सिंह पाकिस्तान में रहकर भारत के लिए जासूसी करता था जैसा कि जासूसों के मामले में हमेशा से होता आया है कि कोई भी देश कभी इस बात को स्वीकार नहीं करता है. वैसा ही सरबजीत के मामले में भी हुआ.
भारत ने कभी आधिकारिक रूप से यह स्वीकार नहीं किया. भारत हमेशा ही यह कहता रहा कि सरबजीत सिंह भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे तरनतारन जिले के भिखीविंड गांव का रहने वाला किसान था, जो 1990 को अनजाने में पाकिस्तानी सीमा में पहुंच गया था.
जबकि बताया यह जाता है कि सरबजीत को पाक में उसके एक मुखबिर ने ही पैसे के लालच में सेना के हाथों पकड़वा दिया था.
बाद में सरबजीत को 1991 में पाक में हुए बम धमाकों के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी लेकिन मई 2013 में जेल में यातनाएं देकर उनकी हत्या कर दी गई थी.
2 – कुलभूषण जाधव
हाल में पाकिस्तानी एजेंसियों द्वारा पकड़े गए भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त कुलभूषण जाधव को लेकर भी यही कहा जा रहा है कि वह भारतीय खुफिया एजेंसी रॅा का एजेंट हैं और बलूचिस्तान में रहकर वहां एक गोपनीय मिशन को अंजाम दे रहा था.
जबकि दूसरी ओर बलूचिस्तान के लोगों का दावा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी को जब पता चला कि जाधव अफगानिस्तान सीमा के नजदीक रहकर पाकिस्तान में भारत के लिए जासूसी कर रहा है तो उन्होंने तालिबान को पैसे देकर जाधव को धोखे से अपहरण करवा लिया है.
वहीं भारत ने यह तो स्वीकार किया है कि जाधव भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त है, लेकिन यह कभी नहीं स्वीकार किया है कि वह सरकार के संपर्क में था या रॅा एजेंट है.
3 – रविन्द्र कौशिक
जासूसी की दुनिया में भारत के ब्लैक टाइगर यानी रविन्द्र कौशिक को कोई जवाब नहीं था. राजस्थान के श्री गंगानगर के रहने वाले रविन्द्र कौशिक ने पाकिस्तान सेना में घुसकर 1979 से लेकर 1983 तक उससे जुड़ी कई अहम जानकारियां जुटाई. भारतीय खुफिया एजेंसी रॅा ने पाकिस्तान में उसका प्रवेश कराने से पहले उसका नाम बदलकर नवी अहमद शाकिर कर दिया था.
इतना ही नहीं रॅा ने रविन्द्र को पाकिस्तान की नागरिकता दिलाने से लेकर पढाई के लिए यूनिवर्सिटी में दाखिला तक दिलाया. पढाई खत्म होने के बाद वो पाकिस्तानी सेना में भर्ती हो गया तथा प्रमोशन लेते हुए मेजर की रैंक तक पहुँच गया.
लेकिन 1983 में रविंद्र कौशिक का भेद उस समय खुल गया जब उनसे मिलने रॉ ने एक और एजेंट को पाकिस्तान भेजा. लेकिन वह एजेंट पाकिस्तान खुफिया एजेंसी के हत्थे चढ़ गया. लंबी यातना और पूछताछ के बाद उसने रविंद्र के बारे में सब कुछ बता दिया. बाद में पाकिस्तान ने रविंद्र को भी पकड़कर मरवा दिया था.
4 – अजीत डोभाल
जासूसी की दुनिया में अजीत डोभाल एक ऐसा नाम हैं जो आज भी पाकिस्तान के लिए सिर दर्द बना हुआ हैं. पाकिस्तान में खुफिया जासूस की भूमिका में रह चुके डोभाल ने वहां 7 वर्षों तक एक अंडरकवर एजेंट के तौर पर कई गोपनीय मिशनों को अंजाम दिया है. इस दौरान वे पाक में इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्च आयोग में काम कर रहे थे.
डोभाल ने वहां रहकर पाकिस्तान के परमाणु केंदो से संबंधित कई अहम जानकारियां भी जुटाई हैं.
आपको बता दे ये भारत के जासूस है जिन्होंने पाकिस्तान में रहकर न केवल उसकी खुफियां सूचनाओं को निकालकर भारत भेजा बल्कि पाकिस्तान में रहकर वहां कई सीक्रेट मिशन को भी अंजाम दिया, जिनकी लोगों को कोई जानकारी नहीं है.