हवलदार जगदीश चंद
जगदीश चंद जैसे बहादुर बिरले ही होते है. हमले से कुछ समय पहले ही जगदीश लेह से पठानकोट लौटे थे. शहीद होने के एक दिन पहले ही जगदीश अपने गाँव से लौटे थे.
जिस समय हमला हुआ तब जगदीश मेस में थे. गोलियों की आवाज़ सुनकर वो तुरंत भागकर बाहर आये और निहत्थे ही एक आतंकवादी से भिड गए. जगदीश ने उस आतंकी की रायफल छीन कर उस आतंकवादी को ढेर कर दिया. उसके बाद दुसरे आतंकियों से लड़ते लड़ते जगदीश बुरु तरह घायल हो गए और शहीद हो गए.
जगदीश के दो बेटियां और एक बीटा भी है. जगदीश का बेटा भी अपने पिता की तरह सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहते है.