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सनातन धर्म की एक अनसुनी कहानी – अयोध्या की राजकुमारी बनी थी दक्षिण कोरिया की पहली महारानी

अयोध्या

कहाँ राम की जन्म भूमि अयोध्या और कहाँ दक्षिण कोरिया .

दोनों स्थानों में क्या सम्बन्ध हो सकता है?

एक दुसरे से हजारों मील दूर होने के बाद भी इन दोनों देशों में एक बहुत ही विशेष और बहुत पुराना सम्बन्ध है.

कथाओं और इतिहासकारों की माने तो सैंकड़ों वर्षो पहले दक्षिण कोरिया की पहली महारानी बनने वाली लड़की भारत की थी. दक्षिण कोरिया की महारानी का मायका अयोध्या था.

Samguk Yusa 13वीं  सदी की एक पुस्तक में लिखा है कि Heo Hwang-ok दक्षिण कोरिया की महारानी थी. जो राजा Geumgwan Gaya की पहली रानी थी. इसी राजा ने कोरिया में Gaya वंश की स्थापना की थी.

Korean_Queen

कोरियन पुस्तक में लिखा है कि ये रानी एक जहाज से समुद्र के रास्ते बहुत दूर देश से कोरिया आई थी.

कुछ विद्वान मानते है कि पुस्तक  में वर्णित स्थान थाईलैंड है और कुक लोग मानते है कि ये स्थान अयोध्या है. वैसे रानी के अयोध्या से आने की बात का समर्थन करने वाले भारत और कोरिया दोनों ही देशों में है. इसका कारण है कि थाईलैंड के बारे में 14 वीं सदी में पता चला था और ये पुस्तक 13 वीं सदी की है.

Heo का वर्णन कोरिया की कई पुस्तकों में मिलता है. कहा जाता है कि अयोध्या में Heo का नाम राजकुमारी सूरीरत्ना था.

राजकुमारी के माता पिता को स्वप्न आया और उस स्वप्न में एक देवता ने उनको बताया कि Geumgwan Gaya राजा बनने वाले है और वो विवाह के लिए रानी की तलाश में है और सूरीरत्ना ही उनकी पहली पत्नी और उनके साम्राज्य की महारानी बनेगी.

स्वप्न के बाद राजकुमारी के माता पिता ने उसे जहाज में कोरिया की ओर रवाना कर दिया. करीब दो महीने की यात्रा के बाद राजकुमारी कोरिया पहुंची और वहां उन्होंने Geumgwan Gaya के साथ विआह किया.

विवाह के बाद उनका नाम सूरी रत्ना से बदलकर Heo Hwang-ok हो गया.

Heo_Hwang-ok

अयोध्या में आज भी हजारों की संख्या में दक्षिण कोरिया के लोग अपनी पहली महारानी का मायका देखने आते है. पिछले दिनों अयोध्या में रानी के नाम पर उत्सव मनाया गया जिसमे भारत और कोरिया के बहुत से गणमान्य लोगों के हिस्सा लिया था.

कोरिया में आज भी महारानी Heo Hwang-ok  की कब्र है. उस कब्र के पास जो पत्थर है उसके बारे में कहा जाता है कि वो पत्थर राजकुमारी अयोध्या से अपने साथ लायी थी.

अयोध्या में कोरिया की रानी की याद में एक स्मारक बनाने की योजना भी बनायीं जा रही है. ये स्मारक कोरियाई सरकार के साथ मिलकर वहां की स्थापत्य कला के अनुसार बनाया जायेगा.