सुभाषचंद्र बोस की कामयाबी से उस समय के सभी नेता डर रहे थे.
मात्र एक महात्मा गांधी ही ऐसे व्यक्ति थे जो छुपकर इनकी मदद कर रहे थे. क्योकि सुभाषचंद्र बोस ने जिस तरह से आजाद हिन्द फौज का निर्माण किया था उससे अंग्रेजों का बुरी तरह से अपमान हुआ था.
कहीं न कहीं ऐसा भी बोला जाता है कि अगर सन 1947 में देश आजाद हुआ था तो उसके पीछे आजाद हिन्द फौज ही थी. अपने अगले लेखों में हम इस बात की चर्चा करेंगे.
लेकिन देश के कुछ नेता ऐसा थे जो यह जानते थे कि अगर बोस बाबू सामने आ गये तो देश की जनता उनको सर आँखों पर बिठा लेगी. इसीलिए इन लोगों ने आजादी के लिए सुभाषचंद्र बोस की कुर्बानी दे दी थी.
आज हम आपको बताने वाले हैं कि कैसे और किस तरह से सुभाषचंद्र बोस के खिलाफ पूरा जाल रचा गया था और इसी कारण से बोस बाबू कभी सामने नहीं आये थे.
नेहरू, जिन्ना और मौलाना आजाद ने अंग्रेजी जजों से समझौता किया यदि सुभाष चन्द्र बोस मिलते है तो उनको दोषी बनाकर कोर्ट यानि अंग्रेजों को सौंप दिया जायेगा.
नेहरू किसी भी हालत में प्रधानमंत्री बनना चाहते थे और नेहरू अन्दर ही अन्दर मुस्लिम पक्ष को मजबूत करते रहते थे और भारत में हिन्दुओ का वर्चस्व मिटाना चाहते थे. सुभाष चन्द्र बोस काफी हद तक हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व भी थे और वह किसी भी हालत में भारत का विभाजन नहीं चाहते थे.
भारत ने उस समय तक कभी भी अमेरिका से अच्छे सम्बन्ध नहीं बनाये थे. भारत के नेता रूस के सामने दबते रहे क्योकि सुभाष जी इनके लिए कमजोरी बन चुके थे. वहीँ बोस जी रूस के लिए खतरा थे. सुभाष जी का असर भारत की जनता में बहुत गहरा था और उनके आने से न भारत बँटता और ना ही जिन्ना और नेहरू की कोई ख्वाइश पूरी हो होती.
ऊपर बताई गयीं बातों के कारण ही बोस जी को बलि का बकरा बनाया गया. देश के कुछ नेताओं ने चाल चली कि किसी भी तरह से सुभाष जी को भारत ना आने दिया जाए. इसी के चलते अंग्रेजों से दबाव डाला गया कि वह बोस जी के खिलाफ इस तरह के कानून बनाये. जब सुभाष जी को खबर लगी तब तक देर हो चुकी थी और विमान दुर्घटना का पूरा खेल खेला गया.
नेहरू और गांधी जी जानते थे कि सुभाष जी विमान दुर्घटना में शहीद नहीं हुए हैं. बाद में जब बोस जी को लगा कि उनकी वजह से शायद देश की आजादी टल सकती है वह खुद ही सबकी नजरों से हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं.
तो देश के इस सच्चे देशभक्त को जितना भी सलाम किया जाए वह कम ही होगा.
लेकिन इनकी इस कुर्बानी और कुछ नेताओं के लालच को आज भी देश की जनता नहीं जानती है.