5) राहत इन्दोरी
इंदौर में जन्मे राहत इन्दोरी एक कपड़ा मिल मज़दूर के बेटे हैं| मगर अपनी लगन और मेहनत से ना सिर्फ यह ग्रेजुएट हुए, बल्कि उर्दू साहित्य में ही एम ए भी की और फिर मध्य प्रदेश की भोज यूनिवर्सिटी से उर्दू साहित्य में ही पी.एच.डी. की डिग्री भी हासिल की! ना सिर्फ इंदौरी साहब ने देश विदेश में अनेक मुशायरों में हिस्सा लिया, अनगिनत पुरुस्कारों के भी हक़दार बने| इतना ही नहीं, हिंदी फिल्मों में गीतकार के तौर पर कई हिट गाने भी दिए!
इनके लिखे कुछ शेर हैं:
1)
दोस्ती जब किसी से की जाए, दुश्मनों से भी राय ली जाए
मौत का ज़हर है फ़िज़ाओं में, अब कहाँ जा के साँस ली जाए
2)
पेशानियों पे लिखे मुक़द्दर नहीं मिले
दस्तार कहाँ मिलेंगे जहाँ सर नहीं मिले
परदेस जा रहे हो तो सब देखते चलो
मुमकिन है वापस आओ तो यह घर न मिले
उर्दू भाषा का हमारी रोज़मर्रा की बोल-चाल में इस्तेमाल कम होता जा रहा है लेकिन शुक्र है कि ऐसे शायर और दिग्गज आज भी हमारे बीच हैं, हमें रास्ते दिखाने के लिए!
उम्मीद है हम सभी इनसे कुछ सीख पाएं और इन के जैसे कुछ शायर अपने बीच पैदा कर पाएँ!