आमिर खान की दंगल फिल्म में गीता बबीता जिस राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतकर पहली बार चर्चा में आई थी उन्हीं खेल में एक किरदार और भी था जो खेल शुरू होने से पहले ही चर्चा में आ गया था.
वह नाम है सुरेश कलमाडी का.
राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार को लेकर जिस शख्स की सबसे अधिक आलोचना हुई वह सुरेश कलमाडी एक बार फिर सुर्खियों में है.
भ्रष्टाचार के आरोपों में अदालती कार्रवाई का सामना कर रहे सुरेश कलमाड़ी को भारतीय ओलंपिक संघ ने हाल ही में आजीवन सदस्य बना दिया है.
आपराधिक और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे कलमाड़ी के साथ एक अन्य अभय सिंह चैटाला को भी भारतीय ओलंपिक संघ का आजीवन सदस्य बनाए जाने के बाद इस मामले ने अब सियासी दंगल का रूप ले लिया है.
खेलों में भ्रष्टाचार और राजनीति के लिए चर्चा में रहने वाले भारतीय ओलंपिक संघ के इस निर्णय को लेकर देश के खेल जगत में हंगामा मचा हुआ है. इन दोनों दागियों की नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब दंगल फिल्म के जरिए देश में खेलों को बढ़ावा नहीं देने के पीछे खेल संघों में व्याप्त राजनीति और भ्रष्टाचार को जिम्मेंदार बताया गया है.
खेलों को लेकर दंगल फिल्म से बदले माहौल में लोगों की मीडिया और सोशल मीडिया में इसको लेकर जो प्रतिक्रियाएं आई हैं, उन्होंने सरकार को ओलंपिक संघ में जारी पदों इस बदंरबांट पर लगाम लगाने के लिए उसे हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर कर दिया है. वहीं दूसरी ओर सरकार ने भी साफ कर दिया है कि वह खेल संघों में जारी भ्रष्टाचार और पदों की बंदरबांट पर मूकदर्शक बनकर नहीं बैठ सकता है.
यही वजह है कि खेल मंत्रालय ने दागी सुरेश कलमाडी और अभय सिंह चैटाला को भारतीय ओलंपिक संघ का आजीवन सदस्य बनाए जाने पर भारतीय ओलंपिक संघ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
खेल मंत्री विजय गोयल ने कलमाडी और चैटाला को हटाए जाने या उनके इस्तीफा देने तक खेल मंत्रालय द्वारा ओलंपिक संघ के साथ कोई व्यवहार नहीं करने की बात कहकर सरकार के सख्त तेवरों से उन सभी को अवगत करा दिया है.
वहीं मौके की नजाकत को भांपते हुए सुरेश कलमाडी ने भारतीय ओलंपिक संघ में कोई भी पद लेने से इंकार कर दिया है. खबरों के मुताबिक कलमाडी के वकील ने कहा कि वे भ्रष्टाचार के सभी आरोपों से बरी होने के बाद ही कोई पद स्वीकार करेंगे. जबकि अभय चैटाला अभी भी अड़े हुए हैं.
गौरतलब है कि भारतीय ओलंपिक संघ ने जिस प्रकार दागी सुरेश कलमाडी और अभय सिंह चैटाला को आजीवन अध्यक्ष बनाया उसने खेल संघों की पूरी व्यवस्था को एक बार फिर से कठघरे में खड़ा कर दिया है.
आपराधिक और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे लोगों को खेल संघों में बैठाने का खेल जगत के साथ पूरे देश में क्या संदेश जाएगा उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है.