चंद्रगुप्त मौर्य – भारत की धरती पर कई देसी और विदेशी राजाओं और बादशाहों ने शासन किया है। किसी ने भारत को मालामाल कर दिया तो कोई कंगाल बनाकर चला गया।
भारत के इतिहास पर नज़र डालें तो इस देश की धरती पर सबसे ज्यादा राजपूतों और मुगलों ने शासन किया है।
भारत के राजाओं के बीच आपसी फूट के कारण ही विदेशी आक्रमणकारियों को इस देश की धरती पर राज करने का मौका मिला। बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि भारत के राजाओं की एक-दूसरे से नहीं बनती थी जिसका फायदा विदेशी आक्रमणकारियों को मिला लेकिन भारत में कुछ राजा और शासक ऐसे भी थे जिनका नाम सुनकर ही विदेशी राजा कांपने लगते थे।
जी हां, आज हम आपको भारत के एक ऐसे ही राजा के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे विदेशी आक्रमणकारी और राजा बहुत डरते थे और उसके शासनकाल में भारत पर आक्रमण करने का साहस किसी में नहीं था।
तो चलिए जानते हैं भारत के इस शूरवीर शासक के बारे में।
ज्ञानी पंडित चाणक्य के शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य भारतवर्ष के पहले ऐसे राजा थे जिन्होंने ऐसा साम्राज्य खड़ा करके दिखाया जिस पर हमला करने के बारे में सोच कर भी विदेशी राजा कांप जाते थे। चंद्रगुप्त मौर्य की मौत के बाद भारत में कई सारे राजवंशों ने शासन किया लेकिन भारत को सोने की चिडिया बनाने का श्रेय महान गुप्त वंश के राजाओं को ही जाता है। गुप्त वंश की स्थापना विष्णुगुप्त ने तीसरी शताब्दी में की थी। मृत्यु से पहले विष्णुगुप्त ने भारतवर्ष का साम्राज्य अपने पराक्रमी पुत्र समुद्रगुप्त के हाथों में सौंपा। समुद्रगुप्त भारत के ऐसे साहसी राजा थे जिन्हें दुनिया का कोई भी राजा हरा नहीं पाया था। उन्हें भारत का सिकंदर भी कहा जाता है।
भारत को बनाया सोने की चिडिया
समुद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में ही भारत सोने की चिडिया बना था। उन्होंने अपने पराक्रम और शौर्य से अपने साम्राज्य को चारों ओर फैलाया था। उनका नाम सुनते ही विदेशी राजाओं के पसीने छूट जाते थे। भारत के इतिहास में उनसे बड़ा साहसी और शूरवीर राजा और कोई नहीं रहा है।
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि भारत को सोने की चिडिया बनाने का श्रेय गुप्त वंश को ही जाता है लेकिन अगर बात करें तो सोने की चिडिया को कंगाल बनाने की तो इसका श्रेय कई लोगों को जाता है।
माना जाता है कि उस दौर में राजा-महाराजा अपनी अय्याशियों में ही डूबे रहते थे और इसी का फायदा उठाकर अंग्रेजों ने भारतीयों के भोलेपन का फायदा उठाना शुरु कर दिया। बस फिर क्या था भारत की भोली-भाली जनता 100 सालों तक अंग्रेजों की गुलाम बन गई और इसके बदले में राजाओं के ठाट-बाट वहीं के वहीं रहे।
कुछ राजाओं ने अंग्रेजों का विरोध किया था इसलिए उनसे उनकी सत्ता छीन ली गई लेकिन कुछ राजा तो अंग्रेजों उसे ही जा मिले थे। शायद भारत पर 100 सालों तक राज करने वाले ब्रिटिशों का भारत में वो दौर खुद भारत के लिए बहुत भयानक और असहनीय पीडा वाला था।
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