राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल को हाल ही में केंद्र सरकार ने नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की सहायता करने वाले पैनल का मुखिया नियुक्त किया है.
इससे पहले इस पैनल की अध्यक्षता का जिम्मा कैबिनेट सचिव को था. इस कदम से अब 71 साल के अजीत डोभाल देश के सबसे शक्तिशाली नौकरशाह बन गए हैं. सैल 2016 सर्जिकल स्ट्राइक के बाद प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी काफी खास हो गए हैं श्री अजीत डोभाल.
भारत के जेम्स बॉन्ड
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे श्री अजीत डोभाल इंटेलिजेंस ब्यूरो से जुड़े रहे और उनके निदेशक भी रहे. कहा जाता है कि डोभाल ने सात साल तक अंडरकवर एजेंट के रूप में पाकिस्तान में काम किया. इसलिये पाकिस्तान में इन्हें भारत के ‘जेम्स बॉन्ड’ कहा जाता है. सर्जिकल स्ट्राइक के मास्टमांइड माने जाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार श्री अजीत डोभाल अपनी रणनीतियों और तेज-तर्रार बयानों के लिये जाने जाते हैं. इन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जा चुका है.
23 साल की उम्र में बने IPS
श्री अजीत डोभाल का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी 1945 को हुआ था. उनके पिता सैनिक थे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी हुई. उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में स्नाकोत्तर किया है.
इसेक बाद वह भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी में जुट गए और साल 1968 में केरल कैडर में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी नियुक्त किए गए. उस दौरान श्री अजीत डोभाल की उम्र केवल 23 साल थी. IPS के रूप में डोभाल ने 4 साल तक सेवा की और साल 1972 में वे इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गए. उन्होंने एक के बाद एक कई अभियानों में हिस्सा लिया और भारत के लिये राष्ट्रीय सुरक्षा की सूचनाएं जुटाई.
आतंकियों से करवाया समर्पण
साल 1989 में डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से उग्रवादियों को निकालने के लिये चलाए गए अभियान का नेतृत्व किया था. उन्होंने पंजाब पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के साथ मिलकर इस अभियान में मुख्य भूमिका निभाई थी. इसमें खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों के दल ने उनका साथ दिया था. जब 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आइसी 814 को काठमांडू से हाइजैक कर लिया गया था. तब भी डोभाल मुख्य वार्ताकार बने थे. जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और शांति के पक्षधर लोगों के बीच काम करते हुए अजीत डोभाल ने कई आतंकवादियों से समपर्ण भी करवाया था. उन्होंने उत्तर-पूर्व में भी शांति की स्थापना के लिये कई अभियानों में हिस्सा लिया था.
नाम के साथ अजीब हैशटैग
श्री अजीत डोभाल ने लगभग 6 सालों तक इंटेलीजेंस अफसर के रूप में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित इंडियन रेजीडेंसी में कार्य किया. डोभाल बतौर अंडरकवर एजेंट पाक में रहे हैं और वह पाक की भौगोलिक स्थिति से पूरी तरह से वाकिफ हैं. इस वजह से भी पाक अक्सर डोभाल के इंटेलीजेंस और उनकी ताकत से खौफ खाता है.पिछले दिनों पाकिस्तान में #DovelRunningISIS हैशटैग ट्रेंड कर रहा था. श्री अजीत डोभाल ने सार्वजनिक तौर पर पाकिस्तान के प्रति भारतीय रणनीति पर बयान भी दिए हैं.
यूपीए ने दिया रिटायरमेंट
33 साल तक तेज तर्रार खुफिया अफसर के रूप में काम करने वाले अजीत डोभाल वर्ष 1999 में एनडीए सरकार की सत्ता में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बतौर एनएसए डोभाल पर अपना भरोसा जताया था. डोभाल वाजपेयी के काफी भरोसेमंद माने जाते थे. लेकिन साल 2005 में यूपीए सरकार ने उन्हें इटेंलीजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर पद से रिटायर कर दिया था. इसके बाद वर्ष 2009 में वे विवेकानन्द इंटरनेशनल फाउंडेशन के फाउंडर प्रेसीडेंट बने. मई 2014 में इनको 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है. डोवाल को उनके स्वर्ण मंदिर वाले ऑपरेशन के लिए सर्वोच्च गैलेंट्री अवॉर्ड कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जा चुका है.
आपको बता दें कि आतंकवाद से निपटने के लिये श्री अजीत डोभाल का कहना है कि हमला होने के बाद सक्रियता दिखाने का कोई अर्थ नहीं. पाकिस्तान आतंकवाद को विदेश नीति की तरह से इस्तेमाल करता है और अन्य तरीकों से युद्ध में लगा रहता है. उसके आतंकवादी किराए के हमलावरों के अलावा कुछ भी नहीं है.
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