4- नटवरलाल-
विदेशियों को ताज महल, लाल किला, क़ुतुब मीनार बेचना नटवरलाल के ठगी कैरियर की एक झलक भर है. नटवरलाल के कारनामे तो ऐसे हैं की एक वक़्त में 100 अलग-अलग केसेस में 8 राज्यों की पुलिस नटवरलाल को खोज रही थी. बिहार के मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव से नटवरलाल बने ठग को बचपन से ही ठगी का शौक था. और शौक-शौक में वकील भी बन गए.
भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के सामने नटवरलाल ने उन्ही के हस्ताक्षर हुबहू उतार दिए.
डॉ राजेंद्र प्रसाद ने तब नटवरलाल को जॉब ऑफर की और कहा की वो ये काम छोड़ दें. नटवरलाल ने जवाब में कहा की मुझे एक मौका दीजिये तो न मैं सिर्फ “भारत सरकार पर बाकी देशों का कर्ज ख़त्म करा दूंगा बल्कि बाकियों को भारत का ऋणी बना दूंगा.”
84 साल की उम्र में नटवरलाल को जेल की हवा खानी पड़ी. नटवरलाल को जेल ज्यादा भय नहीं और उन्होंने भागने का प्लान बना लिया. जेल अथॉरिटी को बोला की उनकी तबियत ख़राब है. उनकी उम्र को देखते हुए बात सबको सच लगी. हद तब हो गयी जब कानपूर से डॉक्टर ने उन्हें एम्स दिल्ली रेफेर किया. दिल्ली स्टेशन में दो पुलिस कांस्टेबल ने एक सफाई वाले को नटवरलाल पर नज़र रखने को कहा और खुद व्हीलचेयर जमा करने गए. नटवरलाल ने सफाई वाले से चाय लाने को कहा और खुद आराम से स्टेशन से छू मंतर हो गया.