भारतीय इतिहास के नारे – हम सब जानते हैं भारत देश ने आज़ादी के लिए जितना संघर्ष किया है, शायद ही किसी देश ने उतना संघर्ष किया हो, भारत देश को मूल रूप से परतंत्रता का सामना अंग्रेजों के आने के बाद से करना पड़ा।
आपको बता दे कि कुछ इतिहासकार आधुनिक स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत १८५७ की क्रांति से मानते हैं लेकिन वही कवि श्री कृष्ण सरल इस स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत १७५७ के प्लासी के युद्ध से मानते हैं. क्योंकि अंग्रेजों और नवाब के बीच हुए इस युद्ध में अपने ही साथी मीर कासिम के धोखे से बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के हार जाने से अंग्रेजों की जड़ भारत में जम गई थी और ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में स्थापित हो गई थी। इतिहासकारों के अनुसार करीब 100 लोगों की म्रत्यु के साथ यह युद्ध सिर्फ 8 घंटे में ही ख़त्म हो गया था।
हमने भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन को लेकर कई नारे सुने होंगे, आपको बता दें कि नारा (स्लोगन) अपनी बात कहने का एक संक्षिप्त जरिया होता था। ताकि कुछ शब्दों में अपनी बात सामने वाले के पास पहुंचाई जा सके। इतिहास में सबसे ज्यादा नारे और सबसे ज्यादा स्वतंत्रता आन्दोलन १८५७ से लेकर १९४६ तक हुए, इस दौरान भारतियों के मन में अपने देश के प्रति जो देशभक्ति की भावनाएं देखने को मिली वैसी भावनाएं कभी भी देखने को नहीं मिली थी। इसलिए इसे स्वर्णिम काल भी कहा जाता है।
इस दौरान अलग-अलग महापुरुषों ने अलग नारे दिए, ताकि राष्ट्र को एक जुट कर सकें। आज हम इन भारतीय इतिहास के नारे के मतलब आपसे साझा करने वाले हैं
भारतीय इतिहास के नारे –
ये है भारतीय इतिहास के नारे – हमारे भारत को आज़ाद कराने में इन नारों ने चिंगारी का काम किया था, इसलिए यह नारे आज भी भारत के इतिहास में उतने ही महत्वपूर्ण है जितने की उस समय थे।
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