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भारतीय इतिहास के ये 10 नारे जिनकी सच्चाई जानकार हैरान हो जायेंगे आप?

भारतीय इतिहास के नारे

भारतीय इतिहास के नारे – हम सब जानते हैं भारत देश ने आज़ादी के लिए जितना संघर्ष किया है, शायद ही किसी देश ने उतना संघर्ष किया हो, भारत देश को मूल रूप से परतंत्रता का सामना अंग्रेजों के आने के बाद से करना पड़ा।

आपको बता दे कि कुछ इतिहासकार आधुनिक स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत १८५७ की क्रांति से मानते हैं लेकिन वही कवि श्री कृष्ण सरल इस स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत १७५७ के प्लासी के युद्ध से मानते हैं. क्योंकि अंग्रेजों और नवाब के बीच हुए इस युद्ध में अपने ही साथी मीर कासिम के धोखे से बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के हार जाने से अंग्रेजों की जड़ भारत में जम गई थी और ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में स्थापित हो गई थी। इतिहासकारों के अनुसार करीब 100 लोगों की म्रत्यु के साथ यह युद्ध सिर्फ 8 घंटे में ही ख़त्म हो गया था।

हमने भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन को लेकर कई नारे सुने होंगे, आपको बता दें कि नारा (स्लोगन) अपनी बात कहने का एक संक्षिप्त जरिया होता था। ताकि कुछ शब्दों में अपनी बात सामने वाले के पास पहुंचाई जा सके। इतिहास में सबसे ज्यादा नारे और सबसे ज्यादा स्वतंत्रता आन्दोलन १८५७ से लेकर १९४६ तक हुए, इस दौरान भारतियों के मन में अपने देश के प्रति जो देशभक्ति की भावनाएं देखने को मिली वैसी भावनाएं कभी भी देखने को नहीं मिली थी। इसलिए इसे स्वर्णिम काल भी कहा जाता है।

इस दौरान अलग-अलग महापुरुषों ने अलग नारे दिए, ताकि राष्ट्र को एक जुट कर सकें। आज हम इन भारतीय इतिहास के नारे के मतलब आपसे साझा करने वाले हैं

भारतीय इतिहास के नारे –

  1. जय हिंद- भारत देश में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो जिसने ये नारा न सुना हो, आज कल नेताओं के भाषण में अक्सर यह नारा सुना जा सकता है, इसका मतलब है “भारत की विजय ” है।यह नारा सबसे पहले भारतीय क्रांतिकारी आबिद हसन सफरानी द्वारा दिया गया था, जिसे बाद में सुभास चन्द्र बोस द्वारा युद्ध घोष के रूप में अपना लिया गया।

 भारतीय इतिहास के नारे

  1. इन्कलाब जिंदाबाद- यह हिन्दुस्तानी भाषा का नारा है जिसका मतलब है “क्रांति की जय हो”  यह नारा मशहूर शायर हसरत मोहानी ने आज़ादी की बात करते हुए दिया था, इस नारे से सबसे ज्यादा भगत सिंह., चंद्रशेखर आज़ाद, राजगुरु प्रभावित हुए। 
  1. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा-  जब आज़ाद हिन्द फ़ौज में  भारतीय युवतियों की भर्ती चल रही थी तब सुभाषचन्द्र बोस ने इन युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा था कि “ तुम मुझे खून दो,मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा” सुभाष जी का नारा सुन कर सब कहने लगे “हम अपना खून देने के लिए तैयार है” और हस्ताक्षर करने के लिए उमड़ पड़े. 
  1. स्वामी दयानंद सरस्वती: भारतीय स्वतंत्रता में स्वामी जी का बहुत बड़ा हाँथ रहा है, १८५७ की क्रांति स्वामी जी के प्रयासों का ही फल था।इन्होने नारा दिया था कि “वेदों की ओर लौटो”
  1. करो या मरो:दुसरे विश्व युद्ध के दौरान इंग्लेंड बुरी तरह उलझा था, इसलिए गांधी जी ने भारतियों को यह नारा दिया। 

भारतीय इतिहास के नारे

  1. मरो या मारो: गांधीजी के करो या मरो नारे से प्रभावित लाल बहादुर शास्त्री एक नए नारे के साथ आगे आये और भारतीय लोगों में स्वतंत्रता की प्रचंड आग फैला दी, जिसके 18 दिन बाद शास्त्री जी को गिरफ्तार कर लिया गया।
  1. दिल्ली चलो: हम सबने सुभाष चन्द्र बोश का यह नारा सुना होगा, जब इंग्लेंड दुसरे विश्व युद्ध में व्यस्त था तब मौके का फायदा उठाते हुए सुभास चन्द्र ने अपनी फ़ौज के साथ यह नारा दिया था। 
  1. बन्दे मातरम् : शायद ही कोई होगा जो इस नारे का मतलब ना जानता हो, यह नारा बंकिम चन्द्र चटर्जी ने दिया था।हमारा रास्ट्रीय भी इसी शब्द से शुरू होता है। 
  1. जय जवान जय किसान: यह नारा तात्कालिक प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने १९६५ के भारत पकिस्तान युद्ध के समय दिया था।

 भारतीय इतिहास के नारे

  1. कर मत दो: यह नारा सरदार बल्लभ भाई पटेल ने दिया था, इसक मतलब अंग्रेजों को टैक्स ना देने से था।

ये है भारतीय इतिहास के नारे – हमारे भारत को आज़ाद कराने में इन नारों ने चिंगारी का काम किया था, इसलिए यह नारे आज भी भारत के इतिहास में उतने ही महत्वपूर्ण है जितने की उस समय थे।