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इस मेले में लगती है दूल्हों की बोली ! खरीद लो अपनी पसंद का दूल्हा !

दूल्हों की बोली

चाहे आप भारत के किसी भी कोने में चले जाएं आपको हर जगह किसी न किसी तरह की अजीबो-गरीब परंपराएं देखने को मिलेगी.

हालांकि बदलते वक्त के साथ-साथ कई परंपराएं भी बदली हैं, लेकिन अभी भी कई प्रथाएं ज्यों की त्यों चली आ रही हैं.

बिहार के कुछ इलाकों जहां दहेज से बचने के लिए दूल्हों का अपहरण तक कर लिया जाता है. तो कहीं दूल्हों को बेचने के लिए मेला भी लगा जाता है और दूल्हों की बोली भी लगती है.

हम जानते हैं दूल्हों की बोली हैरान करनेवाली खबर है !

दूल्हों की बोली

यहां मेले में बिकता है दूल्हा – लगती है दूल्हों की बोली –

बिहार के मधुबनी में हर साल दूल्हों के मेले का आयोजन किया जाता है.

इस मेले में हर साल बिकने के लिए दूल्हों की भरमार लगती है. इतना ही नहीं यहां खुले आम दूल्हों की बोली लगती है. यहां आनेवाले लोग अपने पसंद के दूल्हे को खरीदने के लिए बकायदा उसकी कीमत चुकाते हैं.

यहां के स्थानीय लोगों की मानें तो दूल्हों की खरीद-बिक्री करनेवाले इस मेले का आयोजन आज से नहीं किया जा रहा है बल्कि ये बहुत पुरानी परंपरा है जो सालों से चली आ रही है.

लड़की के मा-बाप लगाते हैं बोली

इस मेले में दूल्हों की बोली लगाने के लिए लड़कियों के माता-पिता खुद आते हैं. दूल्हों के इस भीड़ में से वो अपनी बेटी के लिए एक योग्य दूल्हे को पसंद करते हैं.

फिर लड़की और लड़के के घरवाले दोनों पक्षों की पूरी जानकारी हांसिल करते हैं, सौदा पक्का हो जाने के बाद लड़का और लड़की की रज़ामंदी से रजिस्ट्रेशन कराया जाता है फिर दोनों की शादी कराई जाती है.

दहेज प्रथा को रोकना है मेले का मकसद

बताया जाता है कि दूल्हों की बोली वाले इस मेले की शुरुआत सन 1310 ई. में तत्कालीन मिथिला नरेश हरि सिंह देव ने की थी.

इस मेले की शुरूआत करने के पीछे सिर्फ एक ही मकसद था और वो था दहेज प्रथा को रोकना.

लेकिन गुज़रते वक्त के साथ ही अब इस मेले की अहमियत भी कम होने लगी है. अब इस मेले आर्थिक रुप से कमज़ोर परिवार के लोग ही दूल्हा खरीदने के लिए आते हैं.

बहरहाल दहेज प्रथा को रोकने के मकसद से शुरू किए गए दूल्हों के इस मेले की रौनक भले की कम होने लगी है लेकिन आज भी दूल्हों को खरीदने के लिए लोगों के इस मेले में आने का सिलसिला जारी है.

आज भी इस मेले में दूल्हों की बोली लगती है. लोग अपनी पसंद के दूल्हे की कीमत चुकाकर उससे अपनी बेटी का ब्याह कराते हैं.