खेल जिसमें पशु हिंसा होती है – भारत में कई ऐसे खेल हैं जो अपनी परंपरा को लेकर चर्चा में रहते हैं. वहीं कुछ ऐसे खेल है भी जहां लोग अपने शौक के लिए पशुओं को आपस में लड़वाकर आंनद लेते हैं.
लेकिन हाल में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकार के त्यौहारों और खेलों पर रोक लगाई है. यह त्यौहार भारत में इसलिए बैन हैं क्यूंकि इन त्योहारों में लागों की जान भी चली जाती है.
चलिए हम आपको बतातें हैं कि वे कौन से खेल जिसमें पशु हिंसा होती है.
खेल जिसमें पशु हिंसा होती है –
1 – असम में कुछ लोग मकर सक्रांति में बुलबुल को लड़ाते हैं. असम का हयागरीब माधव मंदिर इस खेल का प्रमुख अड्डा है. ये खेल असम के धार्मिक मान्यताओं का हिस्सा है. इससे भगवान विष्णु को सम्मान दिया जाता है. बता दें कि पिछले साल हाईकोर्ट ने इस पर बैन लगा दिया है लेकिन फिर भी इसे छुप-छुप कर खेला जाता है.
2 – फसल कटाई के मौके पर तमिलनाडु में चार दिन का पोंगल उत्सव मनाया जाता है. इसी उत्सव के दौरान तीसरा दिन मवेशियों के लिए होता है और किसान बेकाबू सांड को काबू में कर अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हैं. जिसे जल्लीकट्टू कहते हैं. तमिल में जली का मतलब सिक्के की थैली और कट्टू का अर्थ है बैल का सींग होता है. इस खेल को 25000 साल पुराना बताया जाता है.
3 – हैदराबाद भी मुर्गों की लड़ाई के लिए काफी मशहूर है. यहां विशेष किस्म की नस्ल के मुर्गों को लड़ाई के लिए ही पाला जाता है. इन बड़े-बड़े खूंखार मुर्गों के पंजों में तेज नुकीले चाकू भी बांधे जाते हैं. इसके बाद दोनों मुर्गों को एक दूसरे से लड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है. हाईकोर्ट की रोक के बाद भी चोरी-छुपे इस खेल का आयोजन आज भी किया जाता है.
4 – पूर्वी और दक्षिण भारत ही नहीं खूनी खेलों के मामले में उत्तर भारत भी पीछे नहीं है. यहां आज भी कई जगहों पर डॉग फाइट कराइ जाती है. इसमें करोड़ों रुपए का सट्टा भी लगाया जाता है. कुत्तों लड़ाने से पहले भूखा रखा जाता है. इस खेल में अक्सर लड़ाई में एक कुत्ते की मौत हो जाती है.
5 – इसी प्रकार भारत में सपेरा जनजाति द्वारा सांप और नेवला की जो लड़ाई दिखाई जाती है उसमें भी हिंसा होती है. इस खेल में भी कई बार सांप की मौत हो जाती है.
ये है वो खेल जिसमें पशु हिंसा होती है – बहरहाल, भारत में जल्लीकट्टू के अलावा भी धर्म और मनोरंजन के नाम पर कई ऐसे खेल प्रचलित हैं जहां व्यापक पैमाने पर पशु हिंसा होती है.