सरकार केंद्र की हो या राज्यों की.
वे समय समय पर चौराहों पर जमा भिखारियों की जमात से निजात पाने के लिए विशेष अभियान चलाती रहती हैं.
लेकिन भारत के भिखारियों की समस्या ये है कि जाने का नाम ही नहीं लेते हैं. बल्कि होता यह है कि एक को भगाओं दूसरा पहुँच जाता है.
भारत के भिखारियों की समस्या एक झटके में समाप्त हो सकती है. बस इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को एक काम करना है. जैसे मोदी सरकार ने नोटबंदी को एक झटके में सख्ती से लागू किया वैसे ही भिखारियों की आड़ में चलने वाले इस गौरखधंधे को भी योजना बनाकर एक झटके में बंद किया जा सकता है.
भिखारियों से छुटकारा पाने के लिए सरकार को बस एक काम करना है.
वह यह कि भारत के भिखारियों की समस्या को सुलझाने सरकार को सबसे पहले इनकी जनगणना करनी चाहिए कि आखिर देश में कुल कितने भिखारी हैं. फिर इनको उम्रवार और मेल फिमेल वार वर्गीकृत कर उनका एक बायोमैट्रिक डाटा तैयार करना चाहिए.
इसके बाद शारीरिक क्षमताओं के अनुसार उनका विभाजन कर उनकी एक सूची बनाई जानी चाहिए. कौन भिखारी क्या काम कर सकता है. उसके अनुसार काम का निर्धारण किया जाना चाहिए. जब यह सब हो जाए तो सरकारों को चाहिए वह तय करे कि वह उनसे क्या काम ले सकती है.
जैसे केंद्र सरकार का स्वस्थ भारत मिशन है. उससे इनको जोड़ा जा सकता है. सभी जानते हैं कि हमारे देश में शहरों में सार्वजनिक स्थानों पर सुलभ शौचालयों की बहुत जरूरत है. आम तौर पर एक शहर में बाजारों के मेन चौराहों और प्रमुख स्थानों जैसे बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, रिक्शा, आटो स्टैंड आदि पर शौचालयों का निर्माण कर इनको वहां बैठा देना चाहिए.
एक एक रूपया भीख मांगने के बजाए ये भिखारी वहां आने वाले लोगों से एक या दो रूपया सुविधा के रूप में भी लें तो इनके पास दिन में इतना पैसा आ सकता है कि ये भीख मांगने से ज्यादा कमा सकतें हैं.
यदि सुलभ सुविधा के बदले पैसा न भी ले तो इसके लिए सरकार या वहां के व्यापार संघ, आटों स्टैंड संघ यूनियन आदि को मिलकर इनको शौचालयों की सफाई के बदले कुछ पैसा देने की व्यवस्था करनी चाहिए.
सरकार को इसी प्रकार भिखारियों के रोजगार से जुड़े अन्य कार्यों की तलाश कर उनको वहां व्यवस्थित करना चाहिए.
इसके लिए सरकार को सबसे पहले यह करना होगा कि जिस भी चौराहे पर भिखारी नजर आए वह उसे तुरंत हिरासत में लेकर एक स्थान पर लाए जहां इन्हें कुछ दिन रखकर इन स्थानों पर सामान्य ट्रेनिंग देनी चाहिए. उसके बाद इनको उन स्थानों पर बैठा देना चाहिए, जो इनके लिए पहले से तय किए हुएं हैं.
शुरूआत में ये भिखारी वहां पर रूकने में आनाकानी करेंगे.
इसके लिए सरकार या जो भी संस्था हो उसे एक काम ओर करना है. वह यह कि इन भिखारियों के साथ इनके परिवार को भी उसी शहर में उसके साथ शिफ्ट कर दें. ताकि ये आसानी से भाग नहीं पाए.
इस पर भी यदि कोई भिखारी भागता है तो वह कहीं न कहीं जाकर भीख अवश्य मांगेगा. लेकिन जब देश में सभी जगह पर भीख मांगने पर पुलिस पकड़कर जेल में डाल रही होगी तो ये मजबूर होकर काम करने के लिए तैयार हो जाएंगे.
साथ ही जो लोग भी भीख मांगते पकड़े जाए उनको कुछ दिन जेल में रखने के बाद सरकार उसी शर्त पर छोड़े कि वह भीख मांगने के बजाए उसके बताए सेंटर पर जाकर काम करेगा.
इसके साथ जब उसका बायोमैट्रिक कार्ड होगा तो डेली उसकी हाजिरी भी लगेगी. इससे यह भी पता रहेगा कि वह उस शहर में है या नहीं.
साथ ही इन सबकी निगरानी करने के लिए उन पर भिखारियों में से ही एक व्यक्ति को नियुक्त कर देना चाहिए.
इस तरह से ख़त्म हो सकती है भारत के भिखारियों की समस्या – यदि सरकार शुरूआत में इसको 50 प्रतिशत भी कर ले गई तो देश को भिखारियों की समस्या से काफी हद तक छुटकारा मिल जाएगा.
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