आखिरकार रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को कहना पड़ा कि सेना मुश्किल में फंसी ए दिले मुश्किल की फिरौती नहीं लेगी.
मनोहर परिकर ने करण जौहर की फिल्म रिलीज के बदले मिलने वाले 5 करोड़ रूपए को लेने से यह कहते हुए इन्कार दिया है कि दान स्वेच्छा से दिया जाता है, किसी पर दबाव डालकर दान लेना सही नहीं है.
दरअसल, सेना द्वारा पैसा नहीं लेने के पीछे दो कारण है.
पहला कारण यह कि इस फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार को दिखाए जाने के कारण महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) इसका विरोध कर रही थी. यदि ऐसा होता तो भारतीय सेना को लेकर पाकिस्तान में आलोचना होगी कि भारतीय सेना की कीमत 5 करोड़ रूपए है. उस वक्त राजनेता नहीं सेना निशाने पर होगी. इसको मुद्दा बनाकर पाकिस्तान विश्व में भारतीय सेना की गलत छवि प्रस्तुत करने की कोशिश करेगा.
वहीं दूसरी ओर भारतीय सेना बिना किसी भेदभाव और लालच के अपने नागरिको रक्षा करती है. 5 करोड़ रूपए लेने का मतलब होता कि सेना भी अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए जबरन बसूली में शामिल है. भले ही वह सीधे तौर पर न हो लेकिन अपरोक्ष रूप से शामिल होने का आरोप अनजाने में सेना पर लग ही सकता था.
यही कारण है कि सेना ने साफ मना कर दिया कि वह मुश्किल में फंसी ऐ दिल है मुश्किल ये राज ठाकरे द्वारा वसूली गई फिरौती की रकम नहीं लेगी.
वहीं, उत्तरी कमांड के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जसवाल ने कहा कि सेना कल्याण कोष के लिए भीख नहीं मांगती है. अगर कोई फिल्म निर्माता सेना कल्याण कोष में योगदान देना चाहता है तो वह अन्य भारतीय नागरिकों की तरह दे सकता है. लेकिन इस तरह से लिये पैसों को सेना स्वीकार नहीं करेगी.
सेना भी उसको राजनीति में घसीटे जाने से नाखुश है.
गौरतलब है कि मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने फिल्म ऐ दिल है मुश्किल में पाकिस्तानी कलाकारों की मौजूदगी पर ऐतराज जताते हुए फिल्म की रिलीज का विरोध किया था. इस विवाद के समाधान के तौर पर फिल्म के निर्देशक करण जौहर से पांच करोड़ रुपये सेना कल्याण कोष (आर्मी वेलफेयर फंड) में जमा कराने को कहा गया था.
इसके बाद इस पर राजनीति शुरू हो गई थी. शिव सेना नेता और राज ठाकरे के भाई उद्धव ठाकरे इसकी आलोचना करते हुए कहा था कि क्या हमारे जवानों के बलिदान की यही कीमत है. यह शहीदों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है.
सेना पर हो रही राजनीति को देखते हुए रक्षा मंत्री परिकर को सामने आकर कहना पड़ा कि हम किसी की गर्दन पकड़कर इस कोष में योगदान के लिए नहीं कहेंगे. साथ ही सेना कल्याण कोष सैनिकों के युद्ध शहीद कोष से अलग है.
नवगठित बैटल कैजुअल्टी फंड का गठन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि जो लोग शहीदों के परिजनों के कल्याण के लिए स्वेच्छा से दान देना चाहते हैं, वह दान दे सकें – फिरौती के रूप में नहीं.
यह पूरी तरह स्वैच्छिक अनुदान है और इसके लिए दान देने की किसी भी मांग से सेना का संबंध नहीं है.
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