भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के पत्थरबाजों और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अपने तेवर सख्त कर दिए हैं.
इसका पता इस बात से भी चलता है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक एडवाइजरी जारी कर लोगों से कहा है कि वे उस स्थान के 3 किलोमीटर तक नजदीक नहीं फटके जहां सेना का जम्मू-कश्मीर के पत्थरबाजों और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एनकाउंटर चल रहा हों.
अगर वे वहां जाते हैं तो इस बार उनकी भी खैर नहीं.
गौरतलब है कि हाल में सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कश्मीर घाटी में सेना के अभियान के दौरान आतंकवादियों को मदद करने वाले और पाकिस्तान के झंडे लहराने वाले लोगों को चेतावनी देते हुए कहा है कि अब जिसके हाथ में पाक का झंडा या मुंह से नारे सुनाई देंगे उसकी खैर नहीं है.
सेना प्रमुख ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि कश्मीर में अगर पत्थर चलाओगे तो गोली खाओगे. जनरल रावत कि ये कड़ी चेतावनी घाटी में उन लोगों के लिए भी है, जो आतंकियों के खिलाफ सेना के ऑपरेशन में बाधा डालते हैं.
सेना के तेवरों को भांपते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने लोगों से आतंकवाद के खिलाफ अभियान वाली जगहों से दूर रहने को कहा है. देखा गया है कि विगत कुछ समय से कश्मीर घाटी के लोगों ने एक ट्रेंड सा बना लिया है कि जब सुरक्षा बल किसी गांव या शहर में आतंकवादियों को घेरते हैं तो स्थानीय लोग उनके बचाने के लिए सुरक्षा बलों पर पथराव शुरू कर देतें है.
आतंकवादी इसका लाभ लेकर वहां से भागने में कामयाब हो जाते हैं. देखा गया है कि दिनोंदिन आतंकवादियों के समर्थन का यह सिलसिला जोर पकड़ता जा रहा है. इसके लिए बाकायदा पैसा देकर लोगों को सेना के अभियान को रोकने लिए उकसाया जा रहा है.
इसको लेकर नए सेना प्रमुख ने साफ कहा है कि अब ये खेल नहीं चलने वाला. सेना ऐसे लोगों के खिलाफ सख्ती से निपटेगी. इसको लेकर सेना राज्य सरकार को भी साफ बता दिया है कि वो नागरिकों को इसके लिए पहले ही आगाह कर दे.
वहीं जैसे ही आतंकी आकाओं को पता चला कि सेना प्रमुख के इस अभियान के खिलाफ देश के कांग्रेस जैसे कुछ राजनीतिक दल समर्थन में आ गए है तो उनकों मौका मिल गया.
वे चाहते हैं कि कश्मीर का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आए.
यही वजह है कि आतंकी कश्मीर को एक बार फिर हिंसा की आग में झोंकने की साजिश रची रहे है.
कश्मीर की सड़कों पर एक बार फिर देशद्रोही पत्थरबाज उतरे हैं. कश्मीर में एक बार फिर पाकिस्तान और आईएसआईएस के झंडे लहराए गए हैं और कश्मीर में ये सब हो रहा है पाकिस्तान की शह पर. इसमें उसका साथ दे रहे हैं कश्मीर के कुछ देशद्रोही अलगाववादी संगठन.
क्योंकि इसके बदले इनकों पाकिस्तान से पैसा मिलता है. पिछले साल खुफिया ब्यूरों ने अपनी जांच में खुलासा किया था कि इन अलगाववादियों को 2015 में पाक से 38 करोड़ रुपए की फंडिंग इसी बात के लिए हुई थी.
गौरतलब है कि इस बार राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं. अगर चुनाव शांति पूर्वक सम्पन्न हो गए तो इन अलगाववादियों और पाकिस्तान का मकसद पूरा नहीं हो पाएगा.
इसलिए एक कोशिश हिंसक माहौल पैदा कर पंचायत चुनाव को टलवाना भी है. आप को बता दें कि हाल ही में सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को जो रिपोर्ट भेजी है उसमें इसका खुलासा हुआ.
चाहे कुछ भी हो जम्मू-कश्मीर के पत्थरबाजों और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सेना जंग जारी रहेगी.