जीवन शैली

जहाँ आम इंसान जाते ही दम तोड़ देते हैं वहाँ तैनात रहते हैं भारतीय जवान

सियाचीन – जहाँ आम इंसान जाते ही दम तोड़ देते हैं वहाँ तैनात रहते हैं भारतीय जवान

ज़रा सी मुसीबत देखकर आम इंसान इतना घबरा जाता है कि वो खलबली मचा देता है. वो सिर्फ समाज में ही रह पाता है. अगर उसे किसी भी तरह से ऐसी जगहों पर रहना पड़े जहाँ हमारे जवान देश की रक्षा के लिए डंटे रहते हैं, तो वो दम तोड़ दे.

भारतीय सेना हर बार हमारा सर गर्व से उंचा कर देती है. आज हम आपको बताएंगे की हमारी सेना ऐसी कौन सी जगह रहती है जहाँ आम इंसान सोचने से ही डर जाता है. असल में ये जगह है सियाचीन.

जी हाँ बर्फ में रहते हैं हमारे सैनिक ताकि दुश्मन देश हमारे देश पर हमला न कर सकें.

भारतीय सेना प्रेरणा का स्रोत रहा है, अत्यधिक साहस और भरोसेमंद, भरोसेमंद पुरुष जो बादलों के फटने या इमारतों के पतन के बावजूद आपके बचाव में आएंगे. पिछले हफ्ते उत्तराखंड के चमोली जिले के मालारी इलाके में भारी बादलों ने एक भूस्खलन का नेतृत्व किया। जंगली, असमान इलाके और घूमने वाली नदियों में बारिश की बारिश हुई, ग्रामीणों के लिए परेशानी हुई और इस प्राकृतिक आपदा के बाद कम से कम चार लोग मारे गए. हमारे जवान इस तरह की स्थितियों में आम लोगों की मदद करते हैं और इसके साथ ही देश की रक्षा भी करते रहते हैं.

नदी उफान पर थी  और भारी बारिश ने सैनिकों को ऊपर से फेंक दिया, लेकिन इनमें से कोई भी उन्हें अपना कर्तव्य करने से रोक नहीं पाया. वो सभी जुटे रहे और आम लोगों की मदद करते रहे.

अब हम आपको बताते हैं उस जगह की बात जहाँ हमारे जवान मौसम से लड़कर हमारी रक्षा करते हैं. तापमान सर्दियों में -50 डिग्री सेल्सियस तक नीचे जाता है. औसत सर्दी बर्फबारी 1,000 सेमी से अधिक है। लद्दाख में नबरा नदी का मुख्य स्रोत ग्लेशियर पिघलने वाला पानी है। 200 9 में, एक अध्ययन में पाया गया कि सियाचिन ग्लेशियर लगातार पिघल रहा था और इसका आकार आधा था।

हर बार ऐसी खबरें पढने को मिलती हैं कि आम लोग जो लद्दाख भी घूमने जाते हैं वहां हवा की कमी से उनकी मौत हो जाती है. ज़रा सोचिए इस बर्फ वाली दुनिया में कैसे हमारे जवान रहते हैं.

भारत को सियाचीन की आपूर्ति के लिए एक दिन $ 1 मिलियन (6.8 करोड़ रुपये) खर्च करने का अनुमान है, जो 18,000 / सेकेंड तक आता है। इस राशि ने एक वर्ष में 4,000 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों का निर्माण किया होगा या 30 वर्षों में 1,72,000 स्कूल बनाए होंगे। एक रोटी जिसकी कीमत 2 रुपये है, को सियाचिन को परिवहन के लिए भारत 200 रुपये खर्च करता है।

इतना खर्च हो जाता है इस जगह पर रहने के लिए. खर्च तो बहुत आ जाएगा लेकिन किसी की जाना वापस नहीं आती. हमारे सेना जिस तरह से यहाँ लड़ते हैं उनकी जान हर वक्त उनकी हथेली पर ही रहती है.

ऐसे जाबांजों को हर भारतीय सलाम करता है. हमारे लिए कैसे ये जवान दिन रात अपनी ड्यूटी करते रहते हैं, ये हमें कभी नहीं भूलना चाहिए.

सियाचीन – सच्चा देशभक्त वाही है जो इन जवानों के लिए जिए. इनके सम्मान दे और इनके लिए जो भी कर सके वो कर दे. आप भी जवानों की इज्ज़त करें और उनके परिवार का सम्मान करें.

Shweta Singh

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Shweta Singh

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