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क्या आप जानते हैं भारतीय सेना में क्यों नहीं है रिजर्वेशन

रिजर्वेशन यानी आरक्षण व्यवस्था देश को दीमक की तरह खा रहा है, काबिल लोग बेरोजगार बैठे और रिजर्वेशन की बदौलत ऐसे लोगों को नौकरी मिल जाती है जो उसके योग्य नहीं है.

शुक्र है कि अब तक भारतीय सेना में आरक्षण को जगह नहीं मिली है, वरना पता नहीं देश का क्या होता. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों है?

भारतीय सेना विश्व की सबसे प्रोफेशनल सेना मानी जाती है जो राजनीति से खुद को दूर रखने में सफल रही है.

यहां सबको एक समान समझा जाता है, लकिन ऐसा नहीं है कि सेना में रिजर्वेशन लाने का प्रयास नहीं किया गया. कमांडर इन चीफ के.एम. करियप्पा के समय सेना में आरक्षण का प्रस्ताव आया था लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को ये कहकर खारिज कर दिया कि इससे सेना की क्षमता पर प्रभाव पड़ेगा.

सेना में कैडेट का चुनाव किसी की सिफारिश और पहचान से नहीं, बल्कि मेरिट के आधार पर होता है चाहे वो सैनिक हो या अधिकारी. अधिकारियों को पहले लिखित परिक्षा पास करने के बाद सर्विस सेलेक्शन बोर्ड (SSB) में 5 दिन लंबे साक्षात्कार प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. उसके बाद मेडिकल टेस्ट पास करने के बाद ही मेरिट में उनका नाम आता है. इतना ही नहीं सिलेक्शन होने के बाद उन्हें एक साल की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है, फिर कमीशन मिलता है.

ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि सेना में वही बना रह सकता है जो शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत हो. सेना के नियम कायदों के अनुरूप चलना हर किसी के वश की बात नहीं होती. तभी तो अधिकारियों की कमी होने के बावजूद सेना अपनी भर्ती प्रक्रिया को बिल्कुल आसान नहीं बनाती. वह सिर्फ बेहतरीन कैंडिटेट का ही चुनाव करती है, क्योंकि सेना में भर्ती हुए लोग देश की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होते हैं और सेना देश की सुरक्षा से किसी कीमत पर समझौता नहीं कर सकती.

भारतीय सेना ‘अनेकता में एकता’ के विचार पर न सिर्फ विश्वास करती है, बल्कि उसे अमल में भी लाती है.

सेना में देश के कोने-कोने से, अलग-अलग भाषा बोलने वाले अलग-अलग धर्म के लोग आते हैं, फिर भी वो पूरे सद्भाव व शांति से साथ रहते हैं. ऐसा इसलिए संभव हो पाता है, क्योंकि यहां सब लोग अपनी मातृभूमि से प्यार करते हैं. जब वो सेना में आते हैं तो खुद को पहले भारतीय समझते हैं. वे एक परिवार की तरह रहते हैं और अपने सहयोगियों के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं.

इसके विपरित यदि रिजर्वेशन व्यवस्था लोगों को धर्म और जाति के आधार पर बांटती है और जब लोग समूह में बंट जाएंगे तो एक होकर काम नहीं कर पाएंगे और सेना का ढांचा कमजोर पड़ जाएगा, इसलिए भारतीय सेना हमेशा से आरक्षण के खिलाफ रही है. भारत के लोगों का सेना पर अटूट विश्वास और उसके प्रति सम्मान है इसलिए किसी को भी भारतीय सेना की संरचना में बदलाव की कोशिश नहीं करनी चाहिए और देशहित में काम करने वाली सेना का हमेशा सम्मान करना चाहिए.

ज़रा सोचिए कि यहां भी रिजर्वेशन अगर लागू हो जाता और अयोग्य लोग सेना में चले जाते तो देश का क्या हाल होता?

Kanchan Singh

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