अंग्रेजों ने भारत की स्वतंत्रता के समय हैदराबाद को एक स्वतंत्र रियासत घोषित किया था.
यह एक ऐसी रियासत थी जिसके राजा की वजह से वह भारत में विलय के लिए तैयार नहीं थी. कुछ पुस्तकें बताती हैं कि हैदराबाद के लोग तो भारत में शामिल होने के लिए तैयार थे, किन्तु राजा हैदराबाद को एक तरह से पाकिस्तान बनाने की सोच रहा था.
तो आखिर ऐसा क्या हुआ था कि भारतीय सेना को आपरेशन पोलो के तहत हैदराबाद में जाकर कार्यवाही करनी पड़ी थी और हैदराबाद को भारत में शामिल कराना पड़ा था?
आज हम आपको आपरेशन पोलो की सारी कहानी बताने वाले हैं-
आपरेशन पोलो –
1. हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान आसिफ शाह ने सन 1947 में ही फैसला ले लिया था कि हैदराबाद एक स्वतंत्र रियासत रहेगी. यह ना पाकिस्तान में होगा और ना ही भारत का राज्य होगा.
2. 29 नवम्बर 1947 के दिन भारत के पहले गृहमंत्री और हैदराबाद के निजाम में एक संधि हुई थी जिसके बाद लगने लगा था कि अब हैदराबाद भारत में विलय के लिए तैयार हो जायेगा. सरदार पटेल हैदराबाद को इसलिए भारत में शामिल करना चाहते थे क्योकि भारत के बीच में स्थित होने की वजह से हैदराबाद देश की सुरक्षा के लिए जरुरी था.
3. कुछ ही समय बाद सरदार पटेल तक खबर आती है कि हैदराबाद निजाम ने पाकिस्तान को 20 करोड़ रुपैय का ऋण दिया है और देश का गृहमंत्री समझ जाता है कि अब हैदराबाद किस राह पर जाने वाला है. ना जाने कोई भी यह बात क्यों नहीं बताता है कि हैदराबाद का निजाम और यहाँ का प्रधानमंत्री मीर अली बोलता था कि वह इस रियासत में रह रहे हिन्दुओं का कत्लेआम करवा सकता है. इस बात से साफ़ होने लगा था कि हैदराबाद जल्द की देश की सुरक्षा के लिए खतरा बना जायेगा.
4. हैदराबाद की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदल रही थी. क्योकि पाकिस्तान से लगातार हथियार हैदराबाद आ रहे थे. लोगों का क़त्ल किया जा रहा था और पाकिस्तान से लगातार राजनेता यहाँ निजाम और प्रधानमन्त्री मीर अली से मिलने आ रहे थे. भारत ने बिगड़ी स्थिति को जल्द ही 28 अगस्त 1948 के दिन संयुक्त राष्ट्र में रखा था और विश्व को हैदराबाद की खराब होती नियत से वाकिफ कराया था.
5. इस ऑपरेशन को करने के पीछे मुख्य वजह हैदराबाद की हिंसा ही थी. हैदराबाद एमआईएम पार्टी ने कई लाख लोगों की सेना बनाई थी और यह लोग हिन्दू लोगों का क़त्ल कर रहे थे. आंकड़ों के अनुसार यह सेना कुछ 5000 से ज्यादा हिन्दुओं को मारा गया था.
6. तब भारतीय सेना के मेजर जनरल चौधरी के नेतृत्व में 15 सितम्बर 1948 को सेना के दो दल हैदराबाद की तरफ बढे थे. सभी को पता था कि हैदराबाद के पास हथियार हैं और हथियार सामने भी आये थे.
7. 17 सितम्बर को हैदराबाद की सेना ने भारतीय सेना के सामने हथियार डाल दिए थे और 18 सितम्बर को भारतीय सेना हैदराबाद के शहर में प्रवेश कर गयी थी. यह पूरी कार्यवाही वैसे 108 घंटों में पूरी हुई थी.
8. समय की मांग और भारतीय सेना के हौसले को तुरंत भापते हुए हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान आसिफ शाह ने बिना देर किये हुए सरदार पटेल के सामने सरेंडर कर दिया था.
9. ऑपरेशन पोलो इस मिशन का नाम रखा गया था, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत देश का प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरु, हैदराबाद पर सीधी कार्यवाही नहीं करना चाहते थे. वह इस मुद्दे को यूएन में ही उठाना चाहते थे. अगर ऐसा हो जाता तो शायद आज एक कश्मीर हैदराबाद आज भी भारत को दर्द दे रहा होता.
10. हैदराबाद को इस तरह से भारत में शामिल किया गया और इस बीच इस पूरे ऑपरेशन के बीच अच्छी बात यह थी कि भारत में किसी भी प्रकार का दंगा नहीं हुआ था क्योकि भारत और हैदराबाद के लोग तो शायद शुरुआत से ही भारत में शामिल होना चाहते थे.
ये थी कहानी आपरेशन पोलो की – तो इस प्रकार से हैदराबाद को भारत में शामिल करके देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल ने इतिहास लिख दिया था. यह आपरेशन पोलो कार्यवाही अगर समय पर नहीं की गयी होती तो शायद आज हैदराबाद भी पाकिस्तान बन गया होता.
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