भारत सरकार ने वियतनाम के साथ रक्षा समझौता करके एक ऐसा दांव चला है कि पड़ोसी चीन अपनी चालबाजी भूलकर अब कलाबाजी करता नजर आएगा.
आपको बता दें पड़ोसी चीन भारत को चारों ओर से घेर कर हमारे खिलाफ मोर्चेबंदी में जुटा है. चीन अपनी इसी रणनीति के तहत पाकिस्तान को न केवल मिसाइल उपलब्ध करा रहा है बल्कि उसकी जमीन पर सैन्य अड्डे बनाकर भारत को चुनौती भी दे रहा है.
लेकिन केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद चीन को उसकी भाषा में जवाब देने के लिए भारत ने आक्रामक रक्षा नीति अपनाई है.
इसी नीति के तहत भारत ने चीन के पड़ोसी वियतनाम को हथियारों की आपूर्ति करने और रक्षा साजो सामान उपलब्ध कराने के लिए कई समझौते किए हैं.
अगले साल से भारत वियतनाम के फाइटर पायलट्स को सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान को उड़ाने की ट्रेनिंग देगा. भारत की नीति है कि चीन के पड़ोसियों को ताकतवर करके उसकी नाम में दम किया जाए. गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर विवाद की वजह से वियतनाम और चीन के रिश्ते तल्ख हैं. भारत इसका फायदा उठाना चाहता है.
यही वजह है कि भारत ने वियतनाम को मजबूती देने के लिए उसकी नेवी को किलो-क्लास सबमरीन के ऑपरेशन की ट्रेनिंग भी दे रहा है. इसके बाद अब अगले कदम के रूप में भारत वियतनाम के फाइटर पायलट्स को सुखोई विमान उड़ाने की ट्रेनिंग देने जा रहा है.
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और उनके वियतनामी समकक्ष जनरल एन. जुआन लिच ने इसको लेकर नई दिल्ली में एक समझौते पर दस्तखत किए. दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वियतनाम दौरे पर उसे 50 करोड़ डॉलर के सैन्य मदद का ऐलान किया था.
भारत इसके पहले वियतनाम को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल देने तक की पेशककश कर चुका है. ब्रह्मोस को लेकर बात दे कि भारत की इस मिसाइल को लेकर चीन बहुत अघिक चिंतित है. लीथल फ्यूल से ऑपरेट करने वाली यह मिसाइल सर्वाधिक मारक क्षमता वाली ऐंटी शिप मिसाइल है. साथ ही यह दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है और 300 किलो वारहेड के साथ 290 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है.
इसके अलावा भारत ने वियतनाम को ऐंटी-सबमरीन टॉरपिडो वरुणास्त्र और दूसरे मिलिट्री हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के निर्यात का प्रस्ताव भी दिया है. डीआरडीओ की लैब में विकसित यह टॉरपीडो वरुणास्त्र समुद्र के अंदर 20 किमी. की रफ्तार से हमला कर सकने में सफल है. ज्ञात हो कि विश्व में सिर्फ आठ देशों के पास ऐसे टारपीडो बना सकने की क्षमता है. इसने भी चीन की चिंता को बढ़ा दिया है.
आपको बता दें कि जनरल लीच 30 सदस्यीय सैन्य प्रतिनिधिमंडल के साथ 3 दिनों के भारत दौरे पर आए हैं. उनके साथ वियतनाम के एयर फोर्स और नेवी के प्रमुख भी आए हैं.
वास्तव में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रुख से भारत और वियतनाम दोनों ही चिंतित हैं और धीरे-धीरे मिलिट्री ट्रेनिंग और डिफेंस टेक्नॉलजी के क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ा रहे हैं. इसके साथ ही दोनों देश दक्षिण चीन सागर में संयुक्त रूप से तेल खोजने का अभियान चला रहे हैं.
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