कश्मीर को लेकर सेना बहुत जल्द कोई बड़ा कदम उठा सकती है.
क्योंकि वहां पर अलगाववादियों के अलावा अब मेन स्ट्रीम के नेताओं ने जिस प्रकार भारत विरोधी एजेंडे पर चलाना शुरू कर दिया है, उसको देखते हुए साफ है कि अब ज्यादा देर हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठा जा सकता है. पाक को मुहंतोड़ जवाब देना ही होगा.
कश्मीर को लेकर अब कोई ठोस और निर्याणक पहल करनी ही होगी. नहीं तो स्थितियां धीरे धीरे हाथ से फिसलती चली जाएंगी.
वहीं आतंकवाद को लेकर सेना पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे एजेंडे का मुहतोड़ जवाब देने की रणनीति पर भी काम रह है.
जानकारों की माने तो पाक को मुहंतोड़ जवाब देने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और सेना प्रमुख बिपिन रावत की हालिया मुलाकत भी इस नजर से काफी महत्वपूर्ण है.
आपको बता दें कि कश्मीर से लौटने के बाद सेना प्रमुख का अजीत डोभाल से जाकर मुलाकात करना काफी अहम है. क्योंकि इन दिनों जिस प्रकार पाकिस्तान के इशारे पर घाटी में पत्थराबाजों के हौंसले दिनोंदिन बड़ रहे हैं उसको देखते हुए सेना को अब वहां कोई बड़ा और सख्त कदम उठाने की बेहद जरूरत है.
आपको बता दें कि पाकिस्तान के इशारे पर अलगावदियों ने जिस प्रकार वहां चुनावों का बहिष्कार किया है और मतदान के दिन लोगों को घर से न निकलने के लिए धमकाया है वह खंतरे की घंटी है.
क्योंकि राज्य में पंचायत के चुनाव होने होने है. ऐसे में वहां जो हालात है उसको देखते हुए नहीं लगता कि वहां लोग अलगावादियों की धमकी को नजर अंदाज़ करके वोट डालने के लिए बाहर निकलेंगे. क्योंकि पाकिस्तान की पूरी कोशिश है कि भारत के कश्मीर राज्य में किसी भी प्रकार के चुनाव न होने पाए. यदि ऐसा होता है तो पाकिस्तान को यह कहने का एक अवसर मिलेगा कि वहां हालात इतने खराब है कि लोकतंत्र ही नहीं बचा जबकि उसने अपने कब्जे वाले कश्मीर में चुनाव करा लिए.
वहीं सेना और भारत सरकार की सबसे बड़ी चितां यही है कि चुनाव बहिष्कार की यह मांग यदि आगे भी जारी रहती है तो इसका व्यापक नुकसान होगा. अलगाववादी घाटी में होने वाले हर चुनाव का बहिष्कार करने लगेंगे.
वहीं दूसरी ओर पत्थरबाज सेना के आतंकवादियों से एनकाउंटर के समय बीच में आकर बाधा डालते हैं ये प्रवृति बहुत खतरनाक है. भारत पाक के किसी संभावित युद्ध में यदि इसी प्रकार की बाधा स्थानीय स्तर पर डाली गई तो ये बेहत खतरनाक होगा.
यही कारण है कि अब सेना पाक को मुहंतोड़ जवाब देने सख्ती के मूड में नजर आ रही है. इसके लिए यदि पाक सीमा पर गोलीबार का भारी आर्टीलरी से जवाब भी देना पड़े तो उससे भी सेना पीछे नहीं हटेगी.
आपको बता दें कि हाल में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा है कि एक साल बाद आपको कश्मीर के हालात बदले नजर आएंगे. पाक को मुहंतोड़ जवाब देने के लिए सुरक्षा बलों को चाहे कुछ भी क्यों न करना पड़े.
गृहमंत्री के इस बयान के राजनीतिक ही नहीं बल्कि कूटनीतिक गलियारों में बहुत गहरे मायने हैं.
यही कारण है कि जानकार अब कश्मीर को लेकर अनुमान लगा रहे हैं कि केंद्र सरकार इसको लेकर कोई ठोस निर्णय लेने वाली है.