भारत और रूस मिलकर ऐसी रक्षा तैयारियों में लगे जिससे न केवल पाकिस्तान की बल्कि चीन की भी चिंता बढ़ गई है.
सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के बाद भारत और रूस ने मिलकर पाँचवी-पीढ़ी के लड़ाकू विमान का डिजाइन बनाने और उसका परीक्षण करने सम्बन्धी अनुबन्ध लगभग तैयार कर लिया है.
इसके तकनीकी हस्तातंरण का मामला फाइनल होते ही नई पीढ़ी के रूसी लड़ाकू विमान टी-50 पर काम शुरू हो जाएगा. दो सीटों वाले इस लड़ाकू विमान के तैयार हो जाने के बाद भारत की हवाई ताकत बहुत बढ़ जाएगी.
आपको बता दें कि पाँचवी पीढ़ी का यह लड़ाकू विमान टी-50 अपने आप में अनूठा होगा. क्योंकि वह हमलावर विमान और लड़ाकू विमान टी-50 दोनों तरह के विमानों का काम पूरा कर सकता है तथा उसे राडारों पर या ऑप्टीकल व इन्फ्रा-रेड किरणों के माध्यम से भी बड़ी मुश्किल से ही ढूँढ़ा जा सकता है यानी वह लगभग पूरी तरह से अदृश्य है.
आपको बता दें अभी तक पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही देश अमरीका के पास पाँचवी पीढ़ी के एफ-22 और एफ-35 विमान हैं. चीन बहुत तेजी से इस काम में लगा हुआ है. चीन में स्टैल्थ तकनीक से लैस दो लड़ाकू विमानों का जल्दी ही नियमित उत्पादन शुरू होने जा रहा है. इस लड़ाकू विमान का निर्माण चीन ने पाकिस्तान जैसे अपने ग्राहकों को बेचने के लिए किया है.
इसलिए अब भारतीय वायुसेना के लिए भी यह जरुरी है कि उसके पास जल्दी से जल्दी स्टैल्थ तकनीक से लैस लड़ाकू विमानों का बेड़ा हो.
यही वजह है कि भारत अपने बेडे़ में पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान टी-50 को शामिल करने के लिए रूस के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है.
आपको बता दें कि चीन और पाकिस्तान के भारत और रूस के इस सयुंक्त प्रोजेक्ट से डर के पीछे असली कारण है कि ये दोनों देश जानते है कि ये मिलकर कोई ऐसा लड़ाकू विमान विकसित करेंगे जिसकी काट उनके लिए आसान नहीं होगी.
क्योंकि इन दोनों देशों के संयुक्त मिसाइल विकास कार्यक्रम का जवाब आज वे नहीं खोज पाए है. भारत और रूस की संयुक्त मिसाइल ब्रह्मोस की टक्कर आज भी चीन के पास नहीं है.