भारत रूस की डील – भारत और रूस के संबंध हमेशा से ही अच्छे रहे हैं और ये अमेरिका को हमेशा नागवार गुज़रा है.
भारत अब अरबों डॉलर खर्च करके रूस से S-400 ट्रायम्फ मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम्स खरीदने जा रहा है, ऐसे में अमेरिका की नींद उड़ गई है. उसने धमकी भी दे डाली है कि ये डील करने के बाद भारत को प्रतिबंध का भी सामना करना पड़ सकता है.
दरअसल, अमेरिका नहीं चाहता कि भारत रूस से यह मिसाइल खरीदे, लेकिन क्यों?
दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका किसी भी हाल में अपनी बादशाहत खोना नहीं चाहता, इसलिए वो यह कभी नहीं चाहेगा कि कोई और देश ज़्यादा ताकतवर बनें किसी भी मामले में. जानकारों की मानें अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से से S-400 ट्रायम्फ मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम्स न खरीदे.
दरअसल, अमेरिका को इस बात की चिंता सता रही है कि कहीं S-400 का इस्तेमाल अमेरिकी फाइटर जेट्स की गुप्त क्षमताओं को टेस्ट करने के लिए न किया जाए. विशेषज्ञों का मानना है कि इस सिस्टम से भारत को अमेरिकी जेट्स का डेटा मिल सकता है, इसलिए अमेरिका को डर लग रहा है. उसे चिंता है कि कहीं डेटा रूस या दुश्मन देश को लीक न कर दिया जाए, इसलिए वो किसी भी कीमत पर भारत रूस की डील को रोकना चहता है, लेकिन ये संभव नहीं लग रहा, क्योंकि भारत रूस की डील अपने अंतिम चरण में है.
हालांकि जानकार अमेरिका के इस डर को बेवजह मान रहे हैं, भारत एक विश्वसनीय देश है जो एक देश की डिफेंस टेक्नॉलजी को दूसरे देश को ट्रांसफर कभी नहीं करेगा. अमेरिका ही नहीं दुनिया का कोई भी देश ऐसे आरोप नहीं लगा सकता है.
भारत पिछले डेढ़ दशक से अमेरिका से रक्षा उपकरण खरीद रहा है और कोई भी तकनीक किसी दूसरे देश तक नहीं पहुंची है, ऐसे में अमेरिका का भारत को लेकर ऐसा डर फिजूल नहीं तो और क्या है.
कहा जा रहा है कि अमेरिका की चिंता सिर्फ भारत को लेकर नहीं है, बल्कि वो इसलिए भी परेशान है क्योंकि कई और देश S-400 सिस्टम को खरीदने की इच्छा जता रहे हैं. ऐसे में साफ है कि अमेरिका का ऐंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स मार्केट शेयर खो रहा है. अगर कई देशों को S-400 मिलता है तो कोई भी अमेरिकी सिस्टम इसकी टक्कर नहीं ले पाएगा.
आपको बता दें कि हाल ही में अमेरिका ने चीन की एक मिलिटरी एजेंसी और इसके निदेशक पर रूस से सैन्य उपकरण खरीदने के आरोप में बैन लगा दिया है.
जहां तक भारत का सवाल है तो भारत रूस की डील अंतिम दौर में है और माना जा रहा है कि अक्टूबर तक ये फाइनल हो जाएगी. ऐसे में देखना होगा कि भारत रूस की डील के बाद अब तक भारत से दोस्ती निभा रहा अमेरिका क्या रूख अपनाता है?