यह जानकारी बहुत ही कम लोगों को पता होगी.
भारत ने तिब्बत को चीन के अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए एक बेहद खुफिया प्लान तैयार किया था. इस प्लान में अमेरिका भी भारत की मदद कर रहा था. भारत ने तिब्बत से भागकर आए शरणार्थियों की मदद से एक सेना तैयार की थी, जिसे नाम दिया गया था स्पेशन फ्रंटियर फोर्स.
इसको कई माह तक पहाड़ियों पर गुरिल्ला युद्ध लड़ने की की ट्रेनिंग दी गई.
तिब्बत को आजाद कराने के इस खुफिया ऑपरेशन के तहत इस फोर्स को तिब्बत में हवाई जहाज से विभिन्न स्थानों पर उतारा जाना था, जहां इसको चीनी सेना पर हमला कर वहां गुरिल्ला युद्ध छेड़ना था.
वर्ष 1962 के भारत चीन युद्ध के बाद ही भारत ने इस मिशन पर काम करना शुरू कर दिया था. इसके लिए भारत ने अमेरिका के साथ मिलकर खुफिया प्रोग्राम चलाया. भारत की ओर इस बेहद गोपनीय और खतरनाक मिशन का नेतृत्व कर रहे थे बी एन मलिक.
इस तैयारी में दलाई लामा के बड़े भाई भी जी जान से जुटे हुए थे.
स्पेशन फ्रंटियर फोर्स को पीछे से मदद करने के लिए भारतीय सेना ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी थी.
सिक्किम में सड़क बनाने का काम तेजी से शुरू हो चुका था. तो वहीं देहरादून के चकराता के जंगलों में फोर्स के गुरिल्ला लड़ाकों को कड़ी ट्रेनिंग दी गई. पैरा ट्रूपर्स को रात के अंधेरे में हवाई जहाज से कूदने का प्रशिक्षण दिया गया.
हजारों की संख्या में तिब्बती लोग इस फोर्स में प्रशिक्षण ले रहे थे. उन सभी का एक ही मिशन था चीन को सबक सिखाना और तिब्बत को आजाद कराना. स्पेशन फ्रंटियर फोर्स को आधुनिक हथियारों से लैस किया गया. ये सभी हथियार अमेरिका ने उपलब्ध कराए थे. गुरिल्ला लड़ाकूओं को अमेरिका की एम.आई. राइफलों से लैस किया गया था. बता दें इस वक्त तक इस प्रकार के आधुनिक हथियार भारतीय सेना के पास भी नहीं थे.
एअर ड्रोपिंग के लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने आधुनिक एअर क्राफ्ट भारत पहुंचा दिए थे.
वर्ष 1964 में बी एन मलिक ने फोर्स के सभी कंमाडरों रैंक जारी कर दिए.
भारत तिब्बत सीमा के समीप दो कंपनियां भी भेजी गई. लेकिन बहुत दिनों तक उनको हमला करने की अनुमति नहीं मिली.
वहीं भारत सरकार से अनुमति नहीं मिलने के बाद स्पेशन फ्रंटियर फोर्स के सैनिकों को बहुत निराशा हुई. कड़ी ट्रेनिंग और लंबे इंतजार के बाद जब स्पेशन फ्रंटियर फोर्स का अनुमति नहीं मिली तो कुछ सैनिकों ने नाथुला के पास सी सेक्टर में गुपचुप तरीके से चीनी सैनिकों पर हमला कर कुछ चीनी सैनिकों को मार दिया. चीनी सेना पर इस प्रकार के हमले अन्य जगहों पर भी हुए.
इतनी सारी तैयारी हो जाने के बावजूद भी स्पेशन फ्रंटियर फोर्स को तिब्बत को आजाद कराने के लिए हमला करने की इजाजत क्यों नहीं मिली. इस पर आज तक पर्दा डला हुआ है.
अगर उस समय चीन के विरूद्ध स्पेशन फ्रंटियर फोर्स को तिब्बत में गुरिल्ला युद्ध छेड़ने के लिए अनुमति मिल जाती तो आज तिब्बत आजाद देश होता.
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