भारत और जापान – एक लम्बें समय से चीन भारत के साथ-साथ जापान पर भी अपना दबदबा बनाने का प्रयास कर रहा है।
चीन की इन नाकाम हरकतों से परेशान भारत और जापान अब एक अहम समझौते के साथ चीन के खिलाफ एक हो सकते हैं।
चीन के लगातार बढ़ते दबदबे को देखते हुए ये कयास लगाये जा रहे है कि चीन के खिलाफ जापान और भारत एक साथ एक बड़े समझौते के तहत एक साथ आ सकते हैं। दरअसल इस बात के संकेत खुद जापान के राजदूत हिरामात्सु ने दिये हैं। एक कार्यक्रम के संबोधन के दौरान उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि भारत और जापान के मध्य जल्द ही मिलिटरी लॉजिस्टिक से जड़ा एक समझौता हो सकता है। इतना ही नहीं उन्होंने इस समझौते की महत्वता को जताते हुए यह भी बताया कि इस समझौते के तहत दोनों देशों को उनके नेवल बेस से कई सुविधांए भी मिलेंगी।
बता दे कि प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे जल्द ही एक खास मुलाकात करने वाले है।
दोनों देश हिन्द माहासागर को लेकर काफी चिंतित है ओर दोनों देशों के मध्य हिन्द महासागर को लेकर चिंता का कारण भी एक ही है, वो है हिंद महासागर में चीन का बढ़ता हस्तक्षेप … ये बात जग जाहिर रही है कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में जापान और भारत के बीच नजदिकियां और मजबूती बढ़ गई है। तो वहीं दूसरी ओर भारत और जापान अमेरिका के साथ मिलकर हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में युद्धाभ्यास करते हैं और इस बात का जिक्र अकसर खबरों में आकर्षण का केन्द्र बना रहता है।
इसके अलावा जापान के राजदूत हिरामात्सु ने बताया उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच एसीएसए पर हस्ताक्षर को लेकर औपचारिक बातचीत हो सकती है और यह लॉजास्टिक मामले में मदद के लिए देश के लिए एक अच्छा मौका है।
गौरतलब है कि यदि भारत और जापान के बीच यह समझौता होता है, तो जापान के जहाजों को भारतीय नेवल बेस से सुंविधाएं और मजबूती दोनों मिलेंगी। इतना ही नहीं इस समझौते के बाद जापान के जहाज अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों से इंधन और जरूरत का अन्य सामान ले सकेंगे। बतां दे कि अंडमान और निकोबार दोनों द्वीप समूहों से चीन के भी जहाज होकर गुजरते हैं। चीन के हिन्द महासागर की तरफ बढ़ते कदमों को लेकर अब भारत और जापान दोनों देशों ने भी अपनी गतिविधियां बढ़ा दी है।
चीन के इस बढ़ते गतिरोध पर दोनों देशों के बीच बढ़ते संबंधों से जहां एक ओर दोनों देशों को मजबूती मिलेगी वहीं दूसरी ओर दोनों देश चीन के खिलाफ एक बड़े स्तर पर एक साथ खड़े भी हो सकते हैं। इसके अलावा चीन ने भी दोनों देशों के बीच बढ़ते इन संबंधों पर अपना नजरिया जाहिर करते हुए दोनों देशों के बीच हुए युद्धाभ्यास पर आप्ति भी जाहिर की है।
अब ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा कि दोनों देशों के बीच बढ़ते संबध चीन के खिलाफ किस स्तर पर एक साथ नजर आते हैं। साथ ही दोनों देश किस स्तर पर जा कर चीन की काली नजरों से हिन्द महासागर को कैसे बचाते हैं।
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