यंगिस्थान चाहता है कि भारत को जल्द से जल्द भिखारी मुक्त देश बनाया जाए.
इस मुहीम को घर-घर तक पहुँचाया जाए और बच्चे-बच्चे की जुबान से भिखारी मुक्त भारत का नारा निकले, ऐसा यंगिस्थान का सपना है.
इसी कड़ी में आज हम आपको बताते हैं कि विदेशों में किस तरह से भारत को भिखारियों का देश बताकर हमारा मजाक उड़ाया जाता है-
आज से कुछ साल पहले तक एक भारतीय के तौर पर हम अक्सर इस बात को लेकर परेशान रहते थे कि दुनिया में हमारे देश की संस्कृति को लेकर नकारात्मक बातें होती हैं. विदेशों में भारत को सांप-सपेरों का देश कहा जाता था.
लेकिन 90 के दशक के बाद भारत ने अपनी इस छवि को तेजी से बदला और सपेरों के देश से बदल कर भारत की छवि साफ्टवेयर निर्यातक देश की बन गई. भारत अभी अपनी इस छवि को लेकर आगे बढ ही रहा है कि उसकी छवि पर एक ओर काला धब्बा लगने के लिए बेकरार है.
वह है – भिखारियों का देश – का तमगा.
आज विदेशों से भारत आने वाले सैलानियों में मन में भिखारियों को लेकर देश की एक नकारात्मक छवि बनती जा रही है. वह समझते हैं कि भारत ज्ञान और विविधताओं के साथ भिखारियों का देश भी है.
देश की राजधानी दिल्ली सहित राज्यों के प्रमुख नगरों के अलावा सांस्कृतिक स्थानों पर लाखों की तादाद में हर वर्ष पर्यटक भारत में आते हैं. विदेशों से आने वाले इन पर्यटकों की संख्या दिन-ब-दिन जिस तेजी से बढ़ रही है, उससे कहीं तेजी से देश में भिखारियों की तादाद बढ़ रही है.
साल 2011 में जनगणना के मुताबिक देश में में कुल 3.72 लाख भिखारी थे.
आपको बता दें अब यह आकंडा कुछ 7 से 8 लाख के बीच पहुँच गया है. कुछ सामाजिक संस्थानों की रिपोर्ट बताती हैं कि देश के कुल भिखारियों में से 21 फीसदी 12वीं पास हैं. आप इस आंकड़े को देखकर खुद समझ सकते हैं कि पढ़े लिखे लोग भी भीख मांगने को अपना करियर बना रहे हैं. साल 2011 के अंदर राज्यसभा में सरकार ने बताया था कि देश में अभी कुछ 4,13,670 भिखारी हैं. इसका अर्थ यह है कि जनगणना में बताये गये आंकड़ों से ज्यादा भिखारी अभी भारत देश में हैं.
विदेशों से आने वाले ये पर्यटक जब देश के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर जाते हैं तो वहां पर उनको भिखारियों का भी सामना करना पड़ता है. देश की सांस्कृतिक सुंदरता, ज्ञान तथा अध्यात्म के अलावा जब उनका पाला इन भिखारियों से पड़ता है और उनके मन में भारत की एक अलग ही छवि ही बनती है. भारत आने से पहले वे हमारे देश के बारे में वे जो अच्छी छवि लेकर आए थे यहां आने पर उनके विपरीत छवि पाकर वे निराश हो जाते हैं.
विदेशी सैलानियों के साथ कई घटनाएं ऐसी भी सामने आई है कि भिखारियों की वजह से पर्यटकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है.
एक के बाद एक कई भिखारी जिस प्रकार इनको घेर कर खड़े हो जाते हैं उससे वे घबरा जाते हैं.
क्योंकि भिखारियों की ये पेशेवर टोली सैलानियों से पैसा लिए बिना उन्हें आगे जाने ही नहीं देती है. एक को मिलने के बाद दूसरा आकर सामने आकर खड़ा हो जाता है. इसकी वजह से पर्यटक भारत की नकारात्मक, भिखारियों का देश की छवि लेकर जाते हैं.
भिखारियों के कारण कई सैलानी तो दोबारा भारत आने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं. इससे न केवल देश को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है वरन भारत दुनिया के देशों में भारत की छवि भी खराब होती है.
अगर भारत को भिखारी मुक्त बना दिया जाए तो इससे न केवल देश की छवि सुधरेगी. बल्कि भारत को पर्यटन के जरिए आर्थिक लाभ भी होगा. यदि अधिक संख्या में सैलानी भारत आएंगे तो देश के भीतर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
इसको देखते हुए यंगिस्थान ने भारत को भिखारी मुक्त बनाने के लिए एक मुहिम शुरू की है.
यंगिस्थान अपने पाठकों से भी उम्मीद करता है कि वे भी देश की छवि सुधारने के लिए भिखारियों को देश की सड़को और चौराहों से रुखसत करने के लिए आगे बढ़कर इसमें सहयोग करेंगे.
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