विश्व गुरु – हम सभी ने भारत देश का इतिहास पढ़ा है और भारत माता की महिमा की गाथाये सुनी हुई है।
इतिहास के पन्नो में भारत को विश्व गुरु यानी की विश्व को पढ़ाने वाला अथवा पूरी दुनिया का शिक्षक कहा जाता था, क्योंकि भारत देश की प्राचीन अर्थव्यवस्था, राजनीती और यहाँ के लोगोंका ज्ञान इतना सम्रद्ध थी कि पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी देश भारत के कायल थे।
भारत की सम्रद्धता और धन को देख कर विदेशी लोग इतने लालची हो गए थे कि उन्हें भारत पर आक्रमण करना पड़ा ताकि भारत के धन से अपने भूखे पेट भर सकें।
लेकिन आज हम बात करने वाले है, भारत के विश्वगुरु होने की। हम सबने अक्सर नेताओं के भाषण में मुख्य रूप से मोदी जी के भाषण में, भारत को विश्वगुरु कहा जाता है। इसलिए आज हम आप सब के सामने इसी बात को सिद्ध करने वाले हैं कि भारत ही विश्व गुरु कहलाने योग्य है।
१. योग :
योग की शुरुआत भारत में ही हमारे प्राचीन ऋषि मुनिया द्वारा की गई थी। आज के दौर में बिभिन्न मानसिक और शारीरिक समस्याओं से निजात पाने के लिए मैडिटेशन एक-लौता ऐसा रास्ता है जिसे कोई भी अपना सकता है।आज पूरी दुनिया जानती है कि योग करने के कितने फायदे है और इसलिए 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है।
२. शल्य चिकित्सा (सर्जरी) :
शल्य चिकित्सा का जन्म भी भारत में ही हुआ है। इस विज्ञान के अंतर्गत शरीर के अंगों की चीड-फाड़ की जाती है और उन्हें ठीक किया जाता है। शरीर को ठीक करने वाली इस विधि की शुरुआत सबसे पहले महर्षि सुश्रुत द्वारा की गई। बाद में इसे पश्चिमी देशो द्वारा अपनाया गया।
३. शून्य (जीरो) :
गणित के सबसे महत्वपूर्ण अंक शून्य का आविष्कार भी भारत में ही किया गया था। सबसे पहले महर्षि आर्यभट्ट ने ही इस दुनिया को शून्य के उपयोग के बारे में समझाया था।इसके अलावा वेदों से हमें 10 खरब तक की संख्याओं के बारे में पता चलता है। सम्राट अशोक के शिलालेखों से पता चलता है कि हमें संख्याओं का ज्ञान बहुत पहले से था।भास्कराचार्य की लीलाबती में लिखा हुआ है कि “जब किसी अंक में शून्य से भाग दिया जाता है तब उसका फलक्रम अनंत आता है।
४. ज्योतिष शास्त्र:
भारत ने ज्योतिष शास्त्र के रूप में दुनिया को एक अनोखी भेंट दी है। यह ज्योतिष की गणनाओं से ही पता चला है कि यह प्रथ्वी गोल है और इसके घूमने से ही दिन रात होते हैं।आर्यभट तो सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण होने के कारण भी जानते थे। वेदों में तो इस अनंत दुनिया का भी वर्णन है और उड़न तश्तरी यानी UFO के बारे में भी बताया गया है।
५. संस्कृत:
संस्कृत भाषा को इस विश्व की सबसे प्राचीन भाषा माना जाता है। इस दुनिया में बोली जाने वाली कई भाषाएँ संस्कृत से प्रभावित हैं अथवा उन भाषाओं में संस्कृत के शब्द देखने को मिलते हैं।
हमने अपने इतिहास के जरिये जाना की इन उपलब्धियों के कारण ही भारत को विश्वगुरु कहा जाता था। लेकिन अब हम बताने जा रहे हैं वह बात जो बर्तमान को देखते हुए बहुत महत्वपूर्ण है और वह है “भारत की उपलब्धियां जिनसे वह फिर से विश्व गुरु बनने लायक है”
१. मंगलयान :
साल २०१४ में पहले ही प्रयास में मंगलयान का मंगल गृह की कक्षा में पहुँच जाना बहुत बड़ी उपलब्धि है। जबकि दुसरे देशों को कई बार प्रयास करने पर ही सफलता मिली।जिससे पता चलता है कि भारतीयों का प्रौद्योगिकी ज्ञान पश्चिम से भी आगे हैं।
२. जीएसएलबी मार्क 2:
इस प्रोजेक्ट के सफल हो जाने से अब भारत सेटेलाईट लोंच करने के लिए दुसरे देशों पर निर्भर नहीं होगा।
३. एकता और बिभिन्न धर्मों का उद्गम स्थान:
भारत में बिभिन्न धर्म और संस्कृति के लोग होने के बावजूद भी सभी एक हैं। जो भारत को अतुल्य बनाती है।
४. इंडियन आर्मी:
भारतीय सेना विश्व की चार बड़ी सेनाओं में से एक है।
५. अर्थव्यवस्था:
भारत की अर्थव्यवस्था एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
इन सब तथ्यों के अलावा हम जानते हैं कि भारतीय नागरिक विश्व के बिभिन्न देशों में अपने ज्ञान-विज्ञान की मदद से उन्हें सहायता दे रहे हैं, और सबसे ज्यादा भारतीय तो नासा में हैं। अतः निष्कर्ष निकालते हुए और इन सब बातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत एक बार फिर विश्व गुरु बनने के लिए तैयार है।