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क्या ISIS की मदद कर रहा है भारत? सनसनीखेज खुलासा

India Companies Helping ISIS

ISIS आज दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकी संगठन बन चुका है.

दुनिया के हर बड़े छोटे देश में इसका जाल फैलने लगा है. इस्लामी कट्टरपंथी ही नहीं दुसरे मज़हब के लोग भी ISIS के जाल में फंसकर जेहादी बन रहे है.

India Help ISIS

अमेरिका रूस सहित दुनिया का हर बड़ा देश ISIS को खत्म करने में लगा है. भारत में भी लगातार ISIS समर्थकों को पकड़ा जा रहा है. पिछले कुछ महीनों में पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के कई युवा ISIS में शामिल होने के लिए सीरिया सहित विभिन्न देशों में गए है.

एक ओर जहाँ सरकार  और सुरक्षा एजेंसियां ISIS को बढ़ने से रोकने की कोशिश में लगा है वही एक खबर ऐसी आई है जिसने सभी को चौंका दिया है.

CAR यानि कॉनफ्लिक्ट आर्मामेंट रिसर्च नामकी संस्था ने 20 महीनों के रिसर्च और जांच पड़ताल के बाद एक ऐसा खुलासा किया है जिससे भारत अमेरिका सहित दुनिया के बड़े देश जो आतंकवाद से लड़ने की बात करते है सकते में आ गए है.

इस संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 20 छोटे बड़े देशों से कानूनी और गैरकानूनी ढंग से ऐसे सामान की बिक्री की जाती है जिसका उपयोग ISIS विस्फोटक बनाने में करता है.

ISIS-EXPLOSIVES

इन 20 देशों की करीब 51 कम्पनियां इस व्यापार में शामिल है.

ISIS को विस्फोटक बनाने के लिए आवश्यक उपकरण और सामग्री बेचने के मामले में भारत का इन 20 देशों की सूचि में दूसरा स्थान है.

पहले स्थान पर तुर्की है, इस देश की करीब 13 कम्पनियां ISIS को विस्फोटक बनाने वाला सामान उपलब्ध कराती है.

भारत की 7 कम्पनियां ISIS से जुडी है.

CAR के अनुसार इनमें से बहुत सी कंपनी ये बात नहीं जानती कि उनके द्वारा भेजे गए साधारण उत्पाद जैसे सस्ते मोबाइल फ़ोन ,रासायनिक खाद, बैटरी आदि का उपयोग ISIS विस्फोटक बनाने के लिए करता है.

भारत और तुर्की के अलावा अमेरिका, स्विट्ज़रलैंड, रूस,रोमानिया और चीन भी ISIS को सामान बेचने में अग्रणी देश है.

एक खास तरह के विस्फोटक बनाने में करीब 700 अलग अलग चीज़ों का इस्तेमाल होता है. अलग अलग इन चीज़ों के व्यापार पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है इसी बात का फायदा ISIS उठता है. अलग अलग देशों से अलग अलग सामग्री निर्यात करके विस्फोटक बनाए जाते है.

CAR ने इस व्यापार को रोकने के लिए इन 20 देशों को कई सुझाव दिए है जिन पर अमल करके ISIS को मिलने वाली सामग्री पर अंकुश लगाया जा सकता है.

isis-warhead

इसके अलावा CAR ने एक और सनसनीखेज खुलासा किया है जिसके अनुसार ISIS नए तरह के क्षेत्रीय हथियार खरीदने के लिए इन्टरनेट और सोशल मीडिया साइट्स की भी मदद ले रही है. फर्जी कम्पनी या फर्जी पहचान के जरिये ये आतंकी गैरकानूनी रूप से हथियार बेचने वालों से सम्पर्क करते है और फिर बिना एक दुसरे से मिलये और पहचान खतरे में डाले बैगर ही हथियारों का व्यापार हो जाता है.

देखा आपने जहाँ एक ओर दुनिया का हर एक देश ISIS से लड़ रहा है और उसे खत्म करने की कोशिश कर रहा है तो दूसरी ओर इन्ही देशों की कम्पनियां पैसे के लालच में बिना जान पहचान के इन आतंकवादियों को हथियार बेच रहे है.

ठीक ही कहा गया है दुनिया की अर्थव्यवस्था युद्ध और हथियारों से ही चलती है.