जब से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनी है उसके बाद से ही भारत सीमा पर चीन को बैकफुट पर रखने के लिए दिन रात मोर्चेबंदी में जुटा है.
बार्डर पर ब्रम्होस मिसाइल और सुखोई विमान तैनात करके चीन की नींद उड़ा चुके भारत ने अब एक ओर दांव चला है.
भारत जल्द चीन सीमा पर अमेरिकी में बनी ऐसी तोपे तैनात करने जा रहा है जिसके तैनात हो जाने के बाद सीमा पर भारत को चीन के मुकाबले बढ़त हासिल हो जाएगी.
गौरतलब है इसके पहले भारत ने चीन से लगने वाली भारत तिब्बत सीमा पर टैंक तैनात कर चीनी सेना में हलचल मचा दी थी. भारतीय सेना एक बार फिर ऐसी ही तैयारी में जुटी है.
इस बार वह सीमा पर तैनात करने के लिए अमेरिकी में बनी ऐसी तोपे खरीदने जा रहा हैं जिनके तैनात हो जाने के बाद चीनी थल सेना सीधे भारतीय सेना के निशाने पर आ जाएगी.
भारत अमेरिका से 145 हॉवित्जर एम 777 तोपे खरीदने जा रहा है.
इसके लिए भारत ने अमेरिका ने करीब 5000 करोड़ रुपये का सौदा किया है. भारत इन हॉवित्जर एम 777 तोपों को चीन से लगी सीमा पर तैनात करेगा. क्योंकि भारत और चीन के बीच अधिकांश पहाड़ी सीमा है. जिस कारण वहां तैनात करने के लिए ऐसी तोपों की आवश्यकता है जो न केवल हलकी हो बल्कि ऊंचाई पर मार करने के साथ उनको पहाड़ी क्षेत्र में एक स्थान दूसरे स्थान पर आसानी से मूव भी किया जा सके.
यही वजह है कि भारत ने अमेरिका में बनी हॉवित्जर एम 777 तोपों को खरीदने के लिए स्वीकृती दी है. क्योंकि दूसरी तोपों के मुकाबले हॉवित्जर तोपें हलकी हैं. साथ इन तोपों को एक जगह से दूसरी जगह बिल्कुल साधारण तरीके से पहुंचाया जा सकता है. इसके अलावा इनके संचालन में भी आसानी होती है.
गौरतलब है कि 1962 के भारत चीन युद्ध में भारत के कमजोर पड़ने के पीछे एक बड़ी वजह पहाड़ी सीमा पर भारी तोपों से आर्टिलरी मोर्चा खोलने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था. यदि उस समय भारत पहाड़ी क्षेत्र में लड़नें के लिए भारतीय सेना के पास जरूरी आर्टिलरी होती तो युद्ध का परिणाम ही दूसरा होता.
बहरहाल, हॉवित्जर एम 777 तोपों को बनाने में टाइटेनियम का इस्तेमाल किया गया है. यह 25 किलोमीटर दूर तक बिल्कुट सटीक तरीके से टारगेट को निशाने पर ले सकती है. इसे टारगेट के एल्टीट्यूड (ऊंचाई) के हिसाब से फिक्स किया जा सकता है.
हॉवित्जर एम 777 का वजन सिर्फ 4,200 किलोग्राम है. जबकि इंडियन आर्मी जिन बोफोर्स तोपों का इस्तेमाल कर रही है उनमें हर एक का वजह 13,100 किलोग्राम है.
अमेरिका की यह तोप वजन और मारक क्षमता के लिहाज से ये दुनिया की सबसे कारगर तोप मानी जाती है.
चीन दखलंदाजी रोकने के लिए अमेरिका और भारत जिस प्रकार साथ आ रहे हैं उसको देखते हुए यह एक महत्वपूर्ण सौदा है. यही वजह है कि अमेरिका ने इसे सिर्फ कनाडा, ऑस्ट्रेलिया के बाद इसे भारत को बेचने का फैसला किया है.
वहीं मोदी सरकार भारतीय सेना के लिए 2027 तक मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम चला रहा है. इसके तहत सेना को आधुनिक हथियारों से लैस किया जाएगा. इस पर एक लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे.
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