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भारत और ईरान के बीच यह कैसा खेल चल रहा है! तूफ़ान आने से पहले की शान्ति तो नहीं?

भारत और ईरान की दोस्ती कई दशकों पुरानी है|

यहाँ तक कि जब सारे विश्व ने ईरान को अलग-थलग कर दिया, उस वक़्त भी भारत एक सच्चे दोस्त की तरह ईरान का साथ देता रहा|

इसके पीछे एक मुख्य कारण यह भी रहा कि भारत को ईरानी तेल की बहुत ज़रुरत है और उसके बिना हमारी अर्थव्यवस्था चरमरा जाती| ज़ाहिर सी बात है कि भारत की इस मदद के लिए ईरान हमेशा से कृतज्ञ रहा है और समय-समय पर भारत को अपनी अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए व्यापर के कई रास्ते आसानी से खोल के देता रहा|

लेकिन अब वक़्त बदल चुका है|

हाल ही में हुए ईरान और पश्चिमी देशों के बीच परमाणु समझौते ने अचानक व्यापर के नियम बदल से दिए हैं| कुछ भी जग जाहिर नहीं है लेकिन हालात बता रहे हैं कि भारत और ईरान के बीच व्यापारिक सम्बन्ध शायद वैसे न रहें जो आज तक थे!

सबसे पहले तो यह होगा कि ईरान पर प्रतिबंधों की वजह से आज तक भारत तेल की कीमत रूपए में अदा कर रहा था, अब वही कीमत डॉलर में अदा करनी पड़ेगी| इसका सीधा असर हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में हर एक डॉलर की कमी हमें करीब 4000 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचती है| वही अगर डॉलर के भाव बदले तो हमें नुक्सान उठाना पड़ सकता है!

दूसरा, जिन क्षेत्रों में भारत को आसानी से मंज़ूरी मिल जाया करती थी, अब उनके लिए उसे पूरी दुनिया से लड़ना होगा! जी हाँ, भारत का ईरान को ज़्यादातर निर्यात ऑटोमोबाइल पार्ट्स, मैकेनिकल टूल्स, मोटरों और केमिकल्स का होता है| पहले यह कॉन्ट्रैक्ट आसानी से मिल जाया करते थे लेकिन अब इन्हीं के लिए यूरोपियन और बाकी दुनिया की मशहूर कंपनियों के साथ लड़ना पड़ेगा! यह समझ लीजिये कि जहाँ पहले बैठे-बैठे बिज़नेस आ जाया करता था, वहीं अब टेंडर पास करवाने होंगे, बेहतर कंपनियों के साथ मुक़ाबला करना होगा और डरने वाली बात यह है कि हमारे देश कि कम्पनियाँ दुनिया में सबसे बेहतरीन नहीं हैं!

जो समझौते पहले हुए हैं, जैसे कि 1.5 लाख टन रेल की पटरियाँ सप्लाई करने का समझौता, वो भी दुबारा मोल-तोल के लिए खुल सकता है क्योंकि चीन और रूस जैसे देश यह काम हमसे बेहतर दामों में और अच्छी क्वालिटी में कर के दे सकते हैं!

भारतियों को अपनी कमर कसनी होगी वरना जो 14 अरब डॉलर का व्यापर भारत और ईरान के बीच होता रहा है, वो आगे नहीं बढ़ पायेगा! और अगर किसी तरह बढ़ा भी, तो उस में ईरान का फायदा ज़्यादा होगा हमें तेल निर्यात करने की वजह से!

उम्मीद है भारतीय कम्पनियाँ और भारत सरकार मिल के इस बदली हुई व्यवस्था का सामना करेंगे और देश के लिए नए मुकाम हासिल करेंगे!

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