भारत की आज़ादी के हीरो – भारत को आज़ाद हुए 7 दशक हो गए.
देश अपना 72वां स्वतंत्रता दिवस बना रहा है, मगर ये आज़ादी हमें यूं ही नहीं मिली. इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी है देश को. भगत सिंह और महात्मा गांधी जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों और शहादत की बदलौत ही देश गुलामी की जंजीरों से आज़ाद हुआ.
चलिए आपको बताते हैं भारत की आज़ादी के हीरो – उन चार हीरो के बारे में जिन्होंने देश की आज़ादी में अहम योगदान दिया.
भारत की आज़ादी के हीरो –
१ – महात्मा गांधी
आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी का बहुत बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने ही आज़ादी की लड़ाई को एक जन आंदोलन की शक्ल की. 1930 में गांधी ने दांडी मार्च सहित सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की थी. 1942 में गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया. जिसके बाद लोगों में आज़ादी की आग और भड़क गई और लोग ब्रिटिश हुकूमत का जमकर विरोध करने लगे. गांधीजी के प्रयासों से स्वतंत्रता एक जन आंदोलन बना था. उन्होंने छोटे शहरों और गांवों को आजादी की लड़ाई में शामिल किया. उनके अहिंसा और आंदोलनों की बदौलत ही देश को आज़ादी मिली.
२ – भगत सिंह
आज़ादी के हीरोज़ की बात हो तो भगत सिंह को कोई कैसे भूल सकता है. 23 साल की छोटी सी उम्र में फांसी के फंदे पर झूलने वाले भगत सिंह न युवाओं में क्रांति की एक ऐसी ज्वाला जला दी, जो देश को आज़ाद कराने के बाद ही शांत हुई. सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने और अंग्रेज अफसर जॉन सैंडर्स की हत्या के आरोप में भगत सिंह को फांसी हुई थी. भगत सिंह के शहीद होने के बाद हज़ारों की संख्या में युवा आज़ादी की लड़ाई में शामिल हुए.
३ – सुभाष चंद्र बोस
सुभाष चंद्र बोस एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया. आज़ादी की लड़ाई में शामिल होने के साथ ही वो समाजसेवा भी किया करते थे. उन्होंने भगत सिंह को फांसी की सजा से रिहा कराने की बहुत कोशिश की. इसके लिए गांधी जी से भी बात की और कहा कि रिहाई के मुद्दे पर किया गया समझौता वे अंग्रेजों से तोड़ दें. इस समझौते के तहत जेल से भारतीय कैदियों के लिए रिहाई मांगी गई थी. गांधी जी ब्रिटिश सरकार को दिया गया वचन तोड़ने के लिए राजी नहीं हुए, जिसके बाद भगत सिंह को फांसी दे दी गई. इस घटना के बाद वे गांधी और कांग्रेस के काम करने के तरीके से बहुत नाराज हो गए थे. सुभाष चंद्र बोस लगातार अंग्रेज़ों का विरोध करते थे, इस वजह से उन्हें अपने ही घऱ में नज़रबंद कर दिया गया था. मगर वो किसी तरह देश से बाहर निकल गए और कई देशों में जाकर भारत की आज़ादी के लिए समर्थन जुटाए. आज़ादी की लड़ाई में योगदान के लिए ही उन्होंन आज़ाद हिंद फौज का गठन किया था.
४ – मंगल पांडे
सही मायने में आज़ादी के पहले हीरो मंगल पांडे ही है, क्योंकि उन्होंने ही देश को अंग्रेज़ों के चुंगल से मुक्त कराने की सबसे पहली कोशिश की थी. वो 1857 की क्रांति के जनक थे. दौरान मंगल पाण्डेय ने एक ऐसे विद्रोह को जन्म दिया जो जंगल में आग की तरह पूरे उत्तर भारत और देश के दूसरे भागों में भी फैल गया था. अंग्रेजी हुकुमत ने उन्हें गद्दार और विद्रोही करार दिया था. मंगल पांडे ने ब्रिटिश कंपनी का नया कारतूस लेने से इनकार कर दिया था जिसेक बाद 29 मार्च सन् 1857 को उनकी राइफल छीनने के लिये जब अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन आगे बढे तो मंगल ने उस पर आक्रमण कर दिया. मंगल पांडे ने मदद के लिए साथियों की ओर देखा लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की लेकिन मंगल पांडे ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने ह्यूसन को मौत के घाट उतार दिया, जिसके बाद उन्हें फांसी हो गई, मगर उनकी क्रांति की ज्वाला ठंडी नहीं हुई.
ये है भारत की आज़ादी के हीरो – हज़ारों लोगों की कुर्बानी और शहादत की बदौलत ही आज आप और हम आज़ाद हिंदुस्तान में सांस ले पा रहे हैं, इसके लिए हमें हमेशा शहीदों का शुक्रगुजार होना चाहिए.