भिखारियों की संख्या – हम आज देश को बदलने की बात करते हैं।
विकास, आंट्रप्रनोयरशिप की बात करते हैं । लेकिन देश की मौजूदा हकीकत इन सब बातों से कहीं अलग है ।
हजारों युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं । तो वही दूसरी तरफ हजारों लोगों ने भिख मांगने को ही अपना बिजनेस बना लिया है । रिपोर्टस के मुताबिक देश में 2 लाख से भी ज्यादा भिखारी है, जिसे सवाल ये उठता है कि यही देश का आर्थिक विकास है क्या यही वो विकास है जिसकी बात हम करते हैं ?
भिखारियों को लेकर सबकी अपनी -अपनी राय है कुछ लोग इसे हालातों की बदकिस्मती कहते है तो कई लोग इसे अपराध से जोड़ कर देखते हैं । लेकिन ताजुब्ब की बात है कि इतने वर्ष बीत जातने के बाद भी हमारी सरकारें भिखारियों की संख्या पर लगाम लगाने में कामयाब नहीं हो पाई है । और नतीजा ये है कि देश में भीख मांगने वाले लोगों की संख्या घटने की बजाय बढ़ती ही जा री है । हाल ही में लोकसभा में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मौजूदा वक्त में 4, 13, 760 भिखारी है । जिसनमें से 1,91,997 महिलाएं और 2,21,673 पुरुष भिखारी है ।
लोकसभा में समाजिक कल्याण मंत्री थावरचंद गहलोत ने हाल ही में देश में बढ़ते भिखारियों की संख्या का डाटा पेश किया । इस डाटा के मुताबिक देश के पश्चिम बंगाल राज्य में भीख मांगने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है ।
वही दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश और तीसरे नंबर पर आध्रं प्रदेश और चौथे नंबर पर बिहार है । जहां पर भिखारियों की संख्या बहुत ज्यादा है । इन आकड़ों के मुताबिक अगर देश में कोई जगह है जहां भिखारियों की संख्या बहुत कम है तो वो है लक्ष्यद्वीप जहां पर केवल 2 भिखारी है । लेकिन हैरानी की बात ये है कि पश्चिम बंगाल , आँध्र प्रदेश , यूपी और बिहार जैसे बड़े राज्यों में जहां विकास की रफ्तार काफी अच्छी है वहां पर भिखारियों की संख्या बढ़ रही है । रिपोर्टस के मुताबिक पश्चिम बंगाल और मणिपुर में महिला भिखारियों की संख्या ज्यादा है । जिसका एक कारण इन राज्यों में महिलाओँ का अभी भी पिछड़ापन और गरीबी है ।
वहीं अगर बात करें देश की राजधानी दिल्ली की तो यहां पर 187 भिखारी है ।जिसे कम से कम ओर किसी को तसली हो ना हो लेकिन दिल्ली सरकार को जरुर राहत मिली है कि कम से कम इस चीज में दिल्ली का नाम ज्यादा खराब नहीं है ।
वैसे सिर्फ दिल्ली ही नहीं सभी क्रेंद्र शासित प्रदेशों में भिखारियों की संख्या राज्यों के मुकाबले कम है । लेकिन इसे ये नहीं कहा जा सकता कि आने वाले वक्त में इन क्रेंद शासित प्रदेशों में भिखारियों की संख्या नहीं बढ़ेगी ।
वही कुछ रिपोर्टस की माने तो लोगो ने भीख मांगने को अपना बिजनेस बना लिया है । और कई गांवों को चिन्हित भी किया जा चुका है जंहा के लोग बड़े -बड़े शहरों में जाकर भीख मांगने का काम करते हैं । और भीख मांग- मांग कर लखपति करोड़पति बन रहे हैं । कुछ रिपोर्टस में तो ये भी दावा किया गया है कि कई खूबसूरत आलीशन घर भिखारियों के हैं । लेकिन भीख मांगने का कारण लोगों के लिए बेराजगारी हो या फिर आसान तरीके से पैसे कमाने का रास्ता पर इतना जरुर कहा जा सकता है कि भिखारियों की संख्या के आकड़े सरकार की विफलता को दर्शा रहे हैं ।साथ ही उनकी बनाई नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं ।
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