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कश्मीरियों यह मत भूलो कि मुसीबत में पाकिस्तान नहीं, सिर्फ भारत आपके साथ रहता है

कश्मीर के लोग अक्सर एक बात बोलते हैं कि हम भारत के अंग नहीं है. कभी यहाँ से मांग आती है अलग राज्य की, कभी बोला जाता है अलग देश, तो कभी पाकिस्तान का समर्थन होता है.

लेकिन आवाम को नहीं भूलना चाहिये कि अपने-अपने ही होते हैं और मुसीबत में अपने ही अपनों के काम आते हैं. दर्द वहां होता है और आंसू यहाँ आते हैं.

पाकिस्तान कब आपकी मदद के लिए आया है बतायें जरा.

ज्ञात हो कि आजादी के बाद पाकिस्तान सेना ने हमला कर दिया था और इसके जवाब में जब भारतीय सेना ने आक्रमण किया, तो पूरे कश्मीर को जीतने से पहले ही भारत सरकार ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी थी.

लेकिन हमारी सरकार ने यह फैसला तो लोगों की भलाई के लिए लिया था, कश्मीर में शांति बनी रहे, इसलिए हमारी सेना को लड़ने से रोका गया था पर अजीब बात यह है कि हमारी विनम्रता और अहिंसा को आज लोगों ने ही हमारी कमजोरी समझ लिया है.

कश्मीर में अलगावादी नेता समय-समय पर अपने बयानों से आग लगाने का काम करते ही रहते हैं.

लेकिन अब मुद्दे की बात करें तो यह राजनीति और ये नेता तब कहाँ गायब हो जाते हैं जब कश्मीर में कोई प्राकृतिक आपदा आती है? आपदा के समय हमेशा हमारे देश की आर्मी और हमारी स्वयं सेवक संस्थाए यहाँ पर मदद करती हैं.

देश का धन इन आपदा प्रबंधन कार्यों में लग रहा होता है. और तो और कई मौकों पर तो केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतन से एक हिस्सा काट कर, मदद के लिए जाता है.

यहाँ तक कि आरएसएस के लोग भी सहायता के लिए पहुँचते हैं.

RSS helping kashmir

सवाल यह है कि क्या आपदा के वक़्त ही कश्मीर भारत का अंग है? क्या परेशानी में कभी पाकिस्तान ने कोई मदद दी? अलगाववादी नेता इस समय में पाकिस्तान से किसी प्रकार की आर्थिक और शारीरिक मदद क्यों नहीं लाते हैं?

Army in kashmir

आतंकवादी समूह ऐसे समय में मदद के लिए सामने क्यों नहीं आते हैं? सबसे बड़ा सवाल तो कश्मीर की आवाम से है, जब वहां के लोग अपने को भारत का अंग नहीं मानते हैं तो इस समय में सहायता लेने से मना क्यों नहीं कर देते हैं?

इन सवालों का जवाब कश्मीर की जनता नहीं देगी, क्योकि मौका-परस्त होने की आदत इनके खून में समा चुकी है.

कश्मीर भारत का अंग है और रहेगा, बस कुछ मौका-परस्त लोग ही, अपनी दुकान इस मुद्दे के ही दम पर चला रहे हैं, और भोली जनता को इन्हीं लोगों ने गूंगा बना दिया है.

जम्मू-कश्मीर में बाढ़ से प्रभावित किसानों को मदद का आश्वासन देते हुए अभी हाल ही में केंद्र ने राज्य सरकार को फसलों को हुए नुकसान के लिए किसानों को मुआवजा देने के वास्ते राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के तहत उपलब्ध 209 करोड़ रुपये प्रयोग करने को कहा.

पिछले साल सितम्बर में आई बाढ़ के समय भी प्रधानमंत्री जी ने भी राज्य के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया था और  1,000 करोड़ की मदद राज्य सरकार को दी थी.

Narendra modi

फिर अगर हम इतिहास पर नज़र डालते हैं तो कभी हमें लाल चौक आँखों के सामने नज़र आता है तो कभी वहां लहराते पाकिस्तानी झंडे. कई बार कानों में पाकिस्तान ज़िंदाबाद और हिंदुस्तान मुर्दाबाद भी हम सुन चुके हैं.

Kashmir protest

अब ऐसे में जब कश्मीर में किसी भी तरह की आपदा आती है तो तब क्यों कश्मीर का अवाम भारत को ही याद करता है? क्यों आखिर भारतीय आर्मी मदद के लिए याद आती है? पाकिस्तान की तरफ से इस समय में कोई मदद क्यों नहीं आती है? अलगाववादी नेता क्यों खामोश रहते हैं, इस समय में?

कश्मीर को समझना होगा कि भारत ने हमेशा कश्मीर को अपना अंग माना है और अपने एक राज्य की तरह ही भारत ने कश्मीर की रक्षा की है.

Army helping flood victims

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