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महाभारत में दर्ज है श्री कृष्ण के नाम पर कुछ अपराध ! इनके बिना पांडव युद्ध सपने में भी नहीं जीत सकते थे !

छल से अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करना न केवल वर्तमान में देखा जा रहा है, बल्कि यह छल पुराने समय से ही  चला आ रहा है.

किसी भी युद्ध में एक पक्ष की जीत होती है तो दूसरे की हार लेकिन अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कुछ ऐसे अपराधों को भी अंजाम दिया जाता है, जो सबकी नजरों में नहीं आ पाते हैं.

आज हम आपको उन्हीं अपराधों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें भगवान श्री कृष्ण द्वारा अंजाम दिया गया था .

जी हां, महाभारत में दर्ज है श्री कृष्ण के नाम पर ऐसे ही कुछ अपराध, जिसके बिना पांडव सपने में भी युद्ध नहीं जीत सकते थे-

1.  बर्बरीक के साथ छल

बर्बरीक दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर था. भगवान श्रीकृष्ण यह बात जानते थे कि बर्बरीक प्रतिज्ञावश हारने वाले का साथ देगा. इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से छल से उसका शीश मांग लिया. बर्बरीक अगर चाहता तो एक ही तीर से वह पूरी सेना को खत्म कर सकता था. इसलिए कृष्ण भगवान ने उसको खत्म कर दिया था.

2.   कर्ण के साथ छल

महाभारत युद्ध में कर्ण सबसे शक्तिशाली योद्धामाना जा रहा था. भगवान कृष्ण यह भली-भांति जानते थे कि जब तक कर्ण के पास उसका कवच और कुंडल है, तब तक उसे कोई नहीं मार सकता. ऐसे में उन्होंने देवराज इन्द्र को एक उपाय बताया और वह एक ब्राह्मण के वेश में कर्ण के द्वार पहुंच कर उनसे छल से उनका कवच और कुंडल दानस्वरूप ले आए, जिसके कारण कर्ण को युद्ध में मार गिराने में सफलता प्राप्त हुई.

3.   भीष्म का वध

महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह कौरवों की तरफ से सेनापति थे. युद्ध में आखिरकार भीष्म के भीषण संहार को रोकने के लिए कृष्ण को अपनी प्रतिज्ञा तोड़नी पड़ती है. कृष्ण के कहने पर पांडव भीष्म के सामने हाथ जोड़कर उनसे उनकी मृत्यु का उपाय पूछते हैं. भीष्म कुछ देर सोचने पर उपाय बता देते हैं. भीष्म की मृत्यु का रहस्य पता चलते ही पांडवों ने युद्ध में नपुंसक शिखंडी को उतारा, जिसके सामने भीष्म ने अपने अस्त्र-शस्त्र सब त्याग दिए और मौके का फायदा उठाकर कृष्ण के इशारे पर अर्जुन ने बाणों से भीष्म को छेद दिया.

4.    द्रोण का वध

जब गुरु द्रोणाचार्य ने धर्मराज युधिष्ठिर से अश्वत्थामा की सत्यता जानना चाही तो उन्होंने जवाब दिया- ‘अश्वत्थामा मारा गया, परंतु हाथी.’ श्रीकृष्ण ने उसी समय शंखनाद किया जिसके शोर के चलते गुरु द्रोणाचार्य आखिरी शब्द ‘हाथी’ नहीं सुन पाए और उन्होंने समझा मेरा पुत्र मारा गया और वह शोक में डूब गए. द्रोणाचार्य को निहत्था पाकर उनका तलवार से सिर काट डाला.

5.    सबसे अंतिम दुर्योधन

अंत में जब भीम और दुर्योधन की लड़ाई हो रही थी तो उस समय भी भीम दुर्योधन से जीतता हुआ प्रतीत नहीं हो रहा था तो अंत में कृष्ण ने ही भीम को दुर्योधन के मारने का मन्त्र दिया था.

इन सभी छल को हम अपराध इस लिए बोल रहे हैं क्योकि तब छल करना एक अपराध की ही श्रेणी में आता था और इन छल के बिना पांडवों का युद्ध जीतना मुश्किल ही नहीं असंभव भी था.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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