यदि आप छुट्टियों में धुमने के लिए देश की राजधानी दिल्ली आ रहे हैं तो तो सावधान हो जाइए.
क्योंकि हो सकता है कि आपको यहां कोई सड़क चलता कुत्ता काट ले. इस बात का खुलासा हाल में सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत एक रिपोर्ट में हुआ है.
दरअसल, देश में राह चलते लोगों पर जिस प्रकार कुत्ते के हमले हो रहे हैं उसको देखते हुए मामला देश की सर्वोच्च अदालत तक जा पहुंचा है.
केरल के रहने वाले याचिकाकर्ता जोस सेबेस्टियन के वकील वीके बीजू ने कहा कि ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में हर छह मिनट में कुत्ते के हमले की घटना होती है. जबकि वहीं भारत के केरल राज्य में महिलाओं और बच्चों को अवारा कुत्तों के हमले के मामले दिन ब दिन बढ़ रहे हैं.
गौरतलब है कि अवारा कुत्तों के हमले से सेबेस्टियन की पत्नी मौत हो गई थी. दिनों दिन बढ़ती इस समस्या को लेकर सेबेस्टियन ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था. मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर आश्चर्य जताते हुए पूछा कि केरल में ही कुत्ते के काटने की ऐसी विचित्र समस्या क्यों है. जबकि कुत्ते तो कई राज्यों में भी लोगों को काटते हैं. कोर्ट द्वारा बनाई समिति ने इसको लेकर चेताया है कि कुत्तों की संख्या को यदि नियंत्रित नहीं किया गया तो बड़ी संख्या में अवारा कुत्ते लोगों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं.
इसको लेकर न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि वे स्वयं कई राज्यों में गए हैं. वहां हमे ऐसी समस्या के बारे में सुनने को नहीं मिला. लिहाजा हम जानना चाहते हैं कि यह समस्या केरल में इतनी केंद्रित क्यों है, जबकि कुत्ते तो कई राज्यों में भी लोगों को काटते हैं. इस मामले में न्यायमित्र वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि गुजरात में भी यह समस्या गंभीर है.
वहीं पीठ में शामिल न्यायमूर्ति अमिताव रॉय ने जब यह कहा कि अगर कुत्तों के हमले की समस्या वास्तव में इतनी गंभीर है तो पीड़ितों को मुआवजा दिया जाना चाहिए, तो इस पर केरल सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील वी. गिरी ने कहा कि कुत्ते काटने के सभी पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए तो लोगों की भारी भीड़ लग जाएगी.
गौरतलब है कि केरल सहित देश में कुत्तों के हमले के कई मामले सामने आने के बाद कोर्ट ने कुत्तों के हमले पर नियंत्रण, स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी और पीडितों को मुआवजे के बारे में विचार करने के लिए एक समिति बनाई थी.
केरल हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसएस जगन की अध्यक्षता वाली समिति ने शीर्ष अदालत को अपनी दूसरी रिपोर्ट सौंपी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अवारा कुत्तों की अत्यधिक संख्या के चलते पैदल चलने वालों, दोपहिया एवं तिपहिया चलाने वालों और पालतू जानवरों की सुरक्षा को गंभीर खतरा है.
जब तक आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रण स्तर पर नहीं लाया जाएगा, यह खतरा बना रहेगा.
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