पाकिस्तान की किस्मत – इमरान खान ने पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री की शपथ ले ली है। पद ग्रहण करने के साथ ही इन्होंने पाकिस्तान का राग अलापना शुरू कर दिया है। जिसके कारण अब ऐसा लगता है कि इमरान खान पाकिस्तान के पिछले हुक्मरानों से बिल्कुल अलग नहीं होंगे। अब तो इसमें कोई दो राय भी नहीं है कि इमरान सेना के कठपुतली हैं।
बधाई पत्र का पाकिस्तान ने बताया बातचीत की पेशकश
इमरान खान के प्रधानमंत्री पद के शपथ लेने वाले कार्यक्रम में भारत से नवजोत सिंह सिद्धु शामिल हुए थे। जो किसी और कारणों से विवादों में फंस गए। लेकिन भारत सरकार ने इमरान खान को उनके प्रधानमंत्री बनने के लिए बधाई पत्र भेजा। जिसे पाक्सितान के विदेश मंत्री ने बातचीत की पेशकश वाला पत्र बताया। जब भारत ने इस पर आपत्ति जताई तो पाकिस्तानी सरकार ने अपने विदेश मंत्री की बातों से पल्ला झाड़ लिया। लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि बिना सरकार और सेना की आपत्ति के विदेश मंत्री ऐसा बोल सकते हैं?
बिल्कुल भी नहीं।
इन्हीं सब कारणों से लगता है कि इमरान खान पाकिस्तान की किस्मत बदलने में असमर्थ ही होंगे। इसके पीछे केवल यही एक कारण नहीं है। इसके पीछे पूरा एक इतिहास है। जिस पर एक बार नजर डालना जरूरी हो जाता है।
निर्वाचित प्रधानमंत्री कभी नहीं टिका
अब तक पाकिस्तान में किसी भी निर्वाचित प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। ऐसे में अगर इमरान खान अपना कार्यकाल पूरा कर लेते हैं तो यही उनके लिए सबसे अच्छी बात होगी। क्योंकि इमरान खान ने सबकुछ हार कर यह चुनाव जीता है और यह चुनाव उनके लिए आर-पार वाला था। जिसके कारण उनके लिए अपना कार्यकाल पूरा करना ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
पड़ सकती है जांन गंवानी
दूसरा कारण है कि पाकिस्तान में निर्वाचित प्रधानमंत्री अब तक सही सलामत नहीं रहे हैं। पाकिस्तान के अब तक के इतिहास में या तो निर्वाचित प्रधानमंत्री को जेल हो गई, या फिर उन्हें जान गंवानी पड़ी या फिर उनका निर्वासन हो गया।
सेना से विरोध
भारत से रिश्ते ठीक करने में तीसरा कारण सबसे बड़ा कारण है जो इस बात की हमेशा पुष्टि करता है कि पाकिस्तान और भारत के रिश्ते कभी नहीं सुधर सकते। क्योंकि भारत के साथ शांति स्थापित करने का मतलब है कि पाकिस्तानी सेना के विरोधी में जाना। सेना को परे रखकर ऐसा आत्मघाती कदम शायद ही पाकिस्तानव के नए प्रधानमंत्री उठा सकेंगे।
इमरान खान में साहस नहीं
यह कारण तो नहीं है लेकिन कारण से कम भी नहीं है। भारत से पाकिस्तान के रिश्ते सुधारने में जो उपरोक्त तीन कारण दिए गए हैं, वे मूल कारण हैं जिनको हर कोई महसूस करता है। लेकिन असली कारण यह है कि इमरान खान में साहस ही नहीं है कि वह सेना और आईएसआई प्रतिष्ठान को चुनैती दे सकें। पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के पास सीखने को कई सबक हैं। लेकिन इमरान खान को देखकर लगता नहीं है कि वे सीखना चाहते हैं।
पाकिस्तान की किस्मत – इसलिए फिलहाल तो भारत और पाकिस्तान के रिश्ते सुधरने के कोई आसार नहीं लग रहे हैं। आपका क्या कहना है? कमेंट में जरूर बताइएगा।
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