व्यक्ति के जीवन में कई ऐसी वस्तुएं होती हैं जो उसे बेहद पसंद होती है लेकिन किसी कारणवश वो खो जाती हैं. वैसे तो जीवन में किसी चीज़ को पाना-खोना, किसी का मिलना-बिछड़ना सब किस्मत का खेल समझा जाता है.
कई बार हमारी सबसे प्रिय वस्तु कहीं अचानक से गुम हो जाती है और लाख कोशिशों के बाद भी उस वस्तु का मिलना नामुमकिन सा लगता है. ऐसे में अधिकांश लोग भगवान के सामने हाथ जोड़कर अपनी खोई हुई वस्तु वापस पाने की कामना करते हैं.
भले ही हमारे लिए हमारी खोई हुई वस्तु का वापस मिलना नामुमकिन लगता है लेकिन शास्त्रों में एक ऐसा अचूक उपाय बताया गया है जिसकी मदद से नामुमकिन भी मुमकिन हो जाता है.
सुदर्शन चक्र की साधना का महत्व
पौराणिक कथाओं में आपने भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के शस्त्र रुप में सुदर्शन चक्र का जिक्र ज़रूर सुना होगा. भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के हाथों में सुशोभित होनेवाले इस सुदर्शन चक्र की महिमा और उसके महत्व के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं.
प्राचीन काल में सुदर्शन चक्र एक ऐसा अचूक अस्त्र हुआ करता था जिसे छोड़ने के बाद वह लक्ष्य का पीछा करते हुए उसका काम तमाम करके वापस अपने स्थान पर लौट आता था.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह सुदर्शन चक्र किसी भी दिशा या फिर किसी भी लोक में जाकर खोई हुई चीज़ों या किसी खोए हुए व्यक्ति को खोज लाने में सक्षम है और इसकी साधना करके खोई हुई वस्तुएं फिर से पाई जा सकती हैं.
ऐसी मान्यता है कि कलयुग में भी सुदर्शन चक्र की ये दैवीय शक्ति काम करती है और व्यक्ति सुदर्शन चक्र के मंत्र का जप करके अपनी खोई हुई वस्तु को वापस पा सकता है.
सुदर्शन चक्र की साधना विधि
नामुमकिन से काम को मुमकिन बनाने के लिए आपको विधि-विधान से सुदर्शन चक्र की साधना करनी चाहिए. इसकी साधना के लिए सबसे पहले दीपक जलाकर पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर अपना मुंह करके बैठ जाएं.
फिर उसके बाद अपनी खोई हुई वस्तु को वापस पाने की कामना करते हुए भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्रधारी रुप का ध्यान करें फिर पूरी आस्था और विश्वास के साथ इस मंत्र का जप करें.
मंत्र–
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
मान्यता है कि भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र के इस मंत्र को नियमित रुप से जपनेवाले व्यक्ति का नामुमकिन सा काम भी मुमकिन हो जाता है और इसकी साधना करके व्यक्ति अपनी हर कामना को पूरी कर सकता है.