इतिहास में महिलाओं की भूमिका – जब कभी भी भारत के गौरवान्वित इतिहास को याद किया जाता है तो भारत के वीर राजाओं और शासकों का ही नाम लिया जाता है जबकि इसके इतिहास में महिलाओं ने भी अहम भूमिका निभाई है।
आज हम आपको ऐसी तीन स्त्रियों का नाम बताने जा रहे हैं जिन्होंने इतिहास में महिलाओं की भूमिका निभाई है।
तो चलिए जानते हैं इतिहास में महिलाओं की भूमिका – उन तीन स्त्रियों के बारे में जो इतिहास को बदलने में प्रमुख मानी जाती हैं।
इतिहास में महिलाओं की भूमिका –
रानी दुर्गावती
कालिंजर बुंदेलखंड में राजा चंदेल के घर 5 अक्टूबर, 1524 को रानी दुर्गावती का जन्म हुआ था। रानी दुर्गावती बचपन से ही वीरांगना थी और बहुत खूबसूरत भी थीं। उनका विवाह गोंडवाना के राजा दलपत सिंह मांडवी से हुआ था। विवाह के 4 साल बाद ही रानी दुर्गावती के पति की मृत्यु हो गई। दुर्गावती को एक पुत्र भी था। बेटे की उम्र कम होने की वजह से राज्य की बागडोर खुद रानी ने अपने हाथों में ले ली। उनके राज्य पर अकबर की नज़र पड़ गई और उन्होंने दुर्गावती को अपने हरम में रखने के लिए गोंडवाना पर अपने रिश्तेदार आसिफ खां को आक्रमण करने के लिए भेज दिया। रानी दुर्गावती पूरी बहादुरी के साथ अकबर की सेना से लड़ी। पहले युद्ध में तो उन्होंने आसिफ खां को हरा दिया लेकिन दूसरी बार आसिफ खां दोगुनी सेना लेकर लौटा। इस युद्ध में खुद को हारते हुए देख रानी ने अकबर के हरम में शामिल होने से बेहतर खुद को ही कटार मारना बेहतर समझा।
पन्ना धाय
राजस्थान की एक महान स्त्री के रूप में पन्ना धाय को जाना जाता है। महाराणा प्रताप के वंश को आगे बढ़ाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान था। रानी कर्मावती ने सामूहिक बलिदान दे दिया था तब एक दासी पुत्र बनवरी ने सत्ता के लालच में राणा कुंभा के वंशजों का मारना चाहा। राणा के आखिरी वंशज उदयसिंह बचे थे जिन्हें मारने की योजना बनवीर ने बनाई थी। पन्ना धाय ने उदय सिंह को बचाने के लिए उनकी जगह पर अपने बेटे चंदन को रख दिया और वो मारा गया। आगे चलकर वो महान योद्धा बने और वे कोई और नहीं महाराणा प्रताप के पिता थे।
अमृता देवी
इन्हें भी राजस्थान की एक महान स्त्री के रूप में जाना जाता है। 1730 में पेड़ काटने का अभियान चालू था और जब अमृता देवी को इस बात की भनक लगी तो वो पेड़ों को बचाने के लिए सभी महिलाओं के साथ पेड़ों पर चिपक गईं। ये 28 अगस्त का दिन था। इस आंदोलन में 35 पुरुषों और 363 महिलाओं ने हिस्सा लिया था। इस दिन को पर्यावरण दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया।
इस तरह भारत के इतिहास को इन महिलाओं ने एक नया रूप दे दिया। इन महिलाओं के अलावा रानी जोधा, पद्मावती, रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाओं ने भी भारत के समृद्ध इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया है।
ये है इतिहास में महिलाओं की भूमिका – हम सभी जानते हैं और इस बात से सहमत भी हैं कि भारत का इतिहास उसकी वीरांगनाओं के बिना अधूरा है। इन सभी को आज भी सम्मान के साथ याद किया जाता है क्योंकि इन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने राज्य के लोगों को बचाया था।
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