कुंभ मेले के शुरुआत में एक विशेष स्नान होता है जिसमें अखाड़े के साधु और संत भाग लेते है.
इस स्नान को शनिस्नान कहते है. ये स्नान हिदुंओं के लिए विशेष महत्व रखता है.
आईए जानते है कुंभ मेले में होने वाले शनि स्नान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य-
1. कुंभ मेले में शनिस्नान शुरु होता है सुबह 4 बजे से
2. शनिस्नान के लिए अखाड़े के साधु संत हथियारों से लैस जूलुस लेकर निकलते है.
3. स्थानीय लोग इस जुलूस के निकलने से पहले ही रास्तों को रंगोली और फूलों से रास्ते सजाकर रखते है.
4. अपने तन पर भस्म लगाकर, गले में फूलों की माला पहने हुए, चमचमती तलवार हाथों में लिए हुए, हाथ में झंडे थामें हुए हजारों साधु इस स्नान के लिए इक्कठे होते है. इस दौरान निकलने वाले जुलुस की शोभा देखते ही बनती है. इस जुलूस में शामिल होने वाले स्वामी हाथियों और रथों पर सवार होकर निकलते हैं.
5. ढोल नगाड़ो की आवाज के साथ हर हर महादेव और जय गंगा मैय्या के नारे गुंजते है.
6. सब से पहले अखाड़ो के साधु और मंहत स्नान करते है उसके बाद बारी आती है उनके अनुयायियों की.
7. ये स्नान होने के बाद साधु संत मंदिर की ओर दर्शन के लिए निकलते है और फिर दर्शन के बाद अपने अपने घर चले जाते है.
इस साल भी कुंभ मेले के दिन होने वाले शनिस्नान को लेकर भक्तगण काफी उत्साहित है.
तीन चरणों में बांट सकते है इस स्नान को-
1. श्रावन सुधा पुर्णिमा-
इस वक्त पहला शनिस्नान होता है इस साल 29 अगस्त 2015 को ये स्नान होगा. नाशिक और त्रिबंकेश्वर में हर 12 साल बाद ये मेला लगता है. इसमे ना सिर्फ भारतीय बल्की विदेशी पर्यटक भी हिस्सा लेते हैं. माना जाता है जब समुद्र मंथन के बाद अमृत का कलश निकला था तब असुरों और देवताओं में इसे लेकर लड़ाई हो गई थी. तब इसकी कुछ बूंदे नाशिक में भी गिरी थी.
2. भाद्रपद कृष्णा अमावस्या द्वितिया-
इस वक्त दूसरा शनिस्नान होगा इस साल13 सिंतबर 2015 में ये स्नान होता है. कहा जाता है कि इस दौरान होने वाले चंद्रग्रहण के दौरान अमृत बरसता है. इसलिए इस स्नान का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस दौरान स्नान करना बेहद लाभदायक होता है.
3. भ्रादपद ऋषिपंचमी द्वितियां–
तीसरा शनिस्नान 18 सिंतबर 2015 को होगा. सूर्यग्रहण के दिन पड़ने की वजह से इस स्नान का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस दिन गोदावरी नदी में डुबकी लगाने से सारे पाप नष्ट हो जाते है.ऐसा माना जाता है कि नासिक में जब बृहस्पति और सूर्य सिंह राशि में होते है तब कुंभ मेला नासिक के त्रयंबकेश्वर में मनाया जाता है.
कुंभ मेले में होने वाला शाही स्नान बहुत महत्व रखता है जहां विभिन्न अखाड़ो के प्रतिनिधी स्नान करने आते है.
ऐसे में शनिस्नान की महिमा से परिचित होना भी जरुरी ही है.
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