हमारा भारत देश रहस्यों से भरा है.
यहाँ आयेदिन हर तरह के रहस्य और अजीब बाते सुनने को मिलती है.
कभी हनुमान जी को देखे जाने की बात कही जाती है तो कभी किसी और चरित्र या पात्र जो इतिहास के पन्नो में जिनका जिक्र मिलता है.
आज हम आपको अश्वत्थामा से जुड़ी विचित्र बाते बताने जा रहे हैं.
अश्वत्थामा द्वापरयुग में गुरु द्रोणचर्या के पुत्र थे. महाभारत में इनका वर्णन एक योद्धा के रूप में मिलता है. वे एक ऐसे योद्धा थे जिनको महाभारत युद्ध में कोई नहीं हरा सका था. महाभारत युद्ध के जीवित योद्धाओं में से एक है अश्वत्थामा.
जी हाँ – अश्वत्थामा महाभारत के वक़्त के अजर अमर कहे जानेवाले कुछ किरदारों में से एक है, जो आज भी जिन्दा माने जाते है.
अश्वत्थामा के लिए कहा जाता है कि आज भी गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में आते है.
यह मंदिर मध्य प्रदेश में बुरहानपुर से 20 किमी. दूर सतपुड़ा की पहाड़ियों के शिखर में असीरगढ़ नमक किला है, जहाँ यह मंदिर स्थित है.
कहा जाता है भगवान् कृष्ण के श्राप से आज तक अश्वत्थामा भटक रहे हैं. यह श्राप अश्वत्थामा को कृष्ण ने अभिमन्यु पुत्र परिक्षित को मारने के कारण दिया था .
तब से अश्वत्थामा को उस श्राप को भोगना पड़ रहा है .
यहाँ हर पूर्णिमा और अमावस्या के दिन अश्वत्थामा भगवान् शिव की पूजा करने आते हैं.
यह भी मान्यता फैली हुई है की जिन लोगो ने अश्वत्थामा को पूजा करते देखा है उन लोग पागल हो जाते हैं.
यह बात सत्य है या झूठ यह कह पाना सम्भव नहीं.
लेकिन मान्यताओं के अनुसार आज भी अश्वत्थामा जीवित है और वह इस शिव मंदिर में भगवान् शिव की पूजा उपासना करने जरुर आते हैं.
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