पाकिस्तान के हुक्मरान – जिन्ना की मौत के बाद पाकिस्तान की राजनीति बिलकुल चरमरा सी गई थी और शायद आज तक ये अपने पैर पाक में मजबूत नहीं कर पाई है।
सबसे पहले 1958 में राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने पाक में पहली बार मार्शल लॉ लगाया जिसका सेना प्रमुख अयूब खान को बनाया गया। अयूब खान ने उन्हें ही धोखा देकर देश से निकाल दिया और पाक में तानाशाह बन गया।
50 के दशक में ऐसी चीज़ें हुईं जिसने शायद पाकिस्तान की तकदीर को पलट कर रख दिया। फिर वो चाहे लोकतंत्र की बेचारगी हो या आगे हुआ पूर्वी पाकिस्तान का बंटवारा। पाकिस्तान में रिकॉर्ड है कि अब तक कोई भी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई है, हाँ एक-दो बार ये करिश्मा हो गया होगा लेकिन ज्यादातर सरकारें अपना कार्यकाल पूरा करने में असमर्थ ही रही हैं।
16 अक्टूबरख् 1951 को रावलपिंडी में लियाकत अली खान की हत्या कर दी गई और उनके बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी पर ख्वाजा नजीमुद्दीन बैठे। इन्हें ही जिन्ना की मौत के बाद पाक का गवर्नर जनरल बनाया गया था। इनकी जगह पर गवर्नर जनरल बने गुलाम मुहम्मद। गुलाम मोहम्मद ने 17 अप्रैल, 1953 को नजीमुद्दीन को बर्खास्त कर दिया। ख्वाजा ने इसका विरोध किया और इसकी शिकायत लंदन की महारानी एलिजाबेथ से करनी चाही लेकिन उनके घर के टेलिफोन की वायर तक काट दी गई थी। पुलिस ने उनके घर को घेर लिया था। ये तो बस ट्रेलर था क्योंकि आने वाले दिनों में पाकिस्तान में इससे भी भयंकर राजनीति के दांव-पेंच खेले गए।
पाकिस्तान में लोकतंत्र को ठेंगा दिखाने का ये तो बस एक वाक्या था।
इसमें बंगाल और पंजाब ने भी पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए। ये दशक पाकिस्तान के लिए सबसे ज्यादा तबाही लेकर आया था। इस दशक में पाकिस्तान की डोर जिस-जिसके भी हाथ में आई वो सभी जैसे इस दुधमुंहे देश को अफीम चटाकर मारने पर तुले हुए थे।
पाकिस्तान के हुक्मरान – पाक में लोकतंत्र को लग गए रोग
भारत में लोकतंत्र कहा जाता है लेकिन उर्दू में इसे जम्हूरियत कहते हैं जो कभी पाकिस्तान में आ ही नहीं पाई। पहले तो पाकिस्तान को जम्हूरियत नसीब ही नहीं हुई और जब हुई तो मानो गर्भ के छठे महीने में पैदा होने वाले बच्चे की तरह। कमजोर, कुपोषित बच्चा जो मरणासन में है।
इस दौर में पाकिस्तान को कई बीमारियां लगी थीं जिनमें सत्ता का वन मन लव यानि की एक समय पर एक ही इंसान के हाथ में सारी पॉवर का होना था। इसके बाद पाक को बंगाल बनाम पंजाब का रोग लगा जिसमें पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान में जंग छिड़ गई थी। नौकरशाही और सेना सब कुछ अपने हाथ में लेना चाहते थे। राजनीतिक पार्टियां लाचार हो चुकी थीं और एक पाकिस्तान पांच हिस्सों यानि पंजाबी, सिंधी, बलूच, पश्तून और बंगाली में बंट गया था।
इस तरह से पाकिस्तान के हुक्मरान – जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि पाकिस्तान में अब तक कोई भी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई है और अब 25 जुलाई, 2018 को पाक में चुनाव होने वाले हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जिस पार्टी की सरकार बनती है वो अपना कार्यकाल पूरा कर पाती है या नहीं।