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PHOTOS: बांग्लादेश का निर्माण और भारतीय फ़ौज का संघर्ष! इन भारतीय शहीदों को सलाम

पाकिस्तान अपने आतंकवादियों के दम पर, पूर्वी पाकिस्तान में कत्लेआम कर रहा था.

पाकिस्तान ऐसा इसलिए कर रहा था ताकि अधिक से अधिक बंगलादेशी भारत में शरण लें सकें. तभी भारतीय सेना पूर्वी पाकिस्तान में मोर्चा संभालती है और बांग्लादेश का निर्माण कराती है. बांग्लादेश का निर्माण, जिनकी कुछ तस्वीरें आपको विचलित कर सकती हैं. लेकिन बांग्लादेश का निर्माण दिखाया जाना जरुरी है.

तो आइये देखते हैं कि आखिर क्यों बांग्लादेश का निर्माण के लिए भारतीय सेना को लड़ने जाना पड़ा था-

1. शांति के दुश्मन लोगों ने पहले इस महिला का बलात्कार किया और बाद में आधी मरी औरत को छोड़कर वह भाग गये थे. तस्वीर बता रही है कि बांग्लादेशी आखिर क्यों भारत में आ रहे थे.


2. एक शिविर में लोग भोजन का इन्तजार कर रहे हैं. उन दिनों बांग्लादेश में खाने की काफी ज्यादा कमी हो गयी थी.

3. राजनैतिक लोग, इंसानियत के दुश्मन बन गये थे और इंसान से इंसान का खून करा रहे थे.

4. जब माँ को मार दिया जाता है तो बूढी दादी ही माँ की भूमिका में आ जाती हैं. ऐसा कई मासूम बच्चों के साथ हुआ था.

5. इंसान की जान, बेहद सस्ती बन गयी थी. कोई भी कभी किसी को मार सकता था.

6. सेना और पुलिस जैसी कोई चीज लोगों की जान नहीं बचा पा रही थी. कुछ लोग बताते हैं कि ऐसा लगता था जैसे इंसान का नामों निशान यहाँ से खत्म होने वाला है.

7. लोगों के हाथ-पैर बांधकर, नदी-तालाब या नालों में फ़ेंक दिया जा रहा था.

8. राजनेता बस टीवी और रेडियो पर भाषण देने का काम कर रहे थे.

9. जानवर भी इतने भूखे थे कि अंत में इन्होनें इन्साओं को खाना ही शुरू कर दिया था.

10. हालात इतने खराब थे कि अंत में भारतीय सेना को ही मोर्चे पर जाना पड़ा था.

11. भारतीय सेना को पाकिस्तान से एक और युद्ध लड़ना पड़ा था जो वह अपने लिए नहीं बल्कि इंसानियत के लिए लड़ रही थी.

12. भारतीय सेना ने यहाँ पंहुचते ही जीत दर्ज करना शुरू कर दिया था.

13. इस तरह से भारतीय सेना के दम पर बांग्लादेश निर्माण का अधूरा ख्याब पूरा हुआ था.

14. इस तरह से भारत की मुक्ति वाहिनी सेना के दम पर बांग्लादेश निर्माण का सपना पूरा हो सका था.

ये था बांग्लादेश का निर्माण – ध्यान रहे कि अमेरिका सन 1971 में इस कत्लेआम में पाकिस्तान की मदद ही कर रहा था. लेकिन सत्य ही हमेशा जीत होती और इस बार भी सत्य ही जीता था.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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