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बहुत दिलचस्प है IIM अहमदाबाद के बनने की कहानी, इसके पीछे प्यार छुपा है

आईआईएम अहमदाबाद एक ऐसा इंस्टीट्यूट जहां पढ़ना हर एक छात्र का सपना होता है, लेकिन यहां एडमिशन मिलना खाने का काम नहीं है, साथ ही फीस भी इतनी है कि किसी मिडिल क्लास परिवार का बच्चा यहां पढ़ने के बारे में सोच भी नहीं सकता, लेकिन एक बार जिसे यहां एडमिशन मिल गया उसकी तो लाइफ बन जाती है, क्योंकि यहां से पास आउट हुए बच्चों को अच्छे पैकेज वाली नौकरी मिल जाती है.

आईआईएम अहमदाबाद भारत के टॉप मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में से एक है. लेकिन इस इंस्टीट्यूट के बनने की कहानी शायद ही लोगों को पता होगी.

आपको बता दें कि इसे बनाने में साइंटिस्ट विक्रम साराभाई का बहुत बड़ा योगदान था, या ये कहें कि अपने प्यार को पास रखने के लिए उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद बनवाया था तो गलत नहीं होगा. 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में जन्में विक्रम साराभाई के पिता अंबालाल बड़े बिज़नेसमैन और सोशलवर्कर थे. आज़ादी की लड़ाई के दौरान उन्होंने महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम के लिए दान भी दिया था.

एक बार अंबालाल साराभाई और उनकी पत्नी को अपने बच्चों की पढ़ाई की फिक्र होने लगी. तब अंबालाल और उनकी पत्नी सरला ने अपनी 21 एकड़ की ज़मीन पर ‘रिट्रीट’ नाम का एक एक्सपेरिमेंटल स्कूल खोला जहां सारी सुविधाएं मौजूद थीं, विक्रम साराभाई भी इसी स्कूल में पढ़े.

स्कूल खत्म होने पर विक्रम ने अहमदाबाद का गुजरात कॉलेज ज्वाइन कर लिया, लेकिन बीच में ही कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए. 1939 में नेचुरल साइंसेज़ में डिग्री हासिल की. विक्रम ने कैंब्रिज से ही पीएचडी भी की थी. जिस साल उन्होंने अपनी पीएचडी पूरी की उसी साल देश आज़ाद हुआ था. 28 साल की उम्र में उन्होंने फिज़िकल रिसर्च लैबोरेट्री बनाई. विक्रम साराभाई की शादी मृणालिनी से हुई थी.

आशिक मिजाज विक्रम साराभाई

विक्रम साराभाई बहुत आशिक मिजाजॉ थे. शादी के बाद भी उनका कमला चौधरी के साथ अफेयर था. उनकी लव स्टोरी के बारे में सुधीर कक्कड़ ने अपनी एक किताब में बताया है. उनकी किताब के मुताबिक, डॉक्टर विक्रम साराभाई कमला से बहुत प्यार करते थे और इसी प्यार के चक्कर में उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद को ही जन्म दे डाला. उनका कहना है कि कमला कम उम्र में ही विधवा हो गई थी और उनकी विक्रम साराभाई की पत्नी मृणालिनी से अच्छी दोस्ती थी जिसकी वजह से वो विक्रम के करीब आ गईं. दोनों की लव स्टोरी करीब 20 साल चली.

कमला उस समय ATIRA (अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज़ रिसर्च एसोसिएशन) में नौकरी करती थीं. लेकिन वो शादीशुदा साराभाई से दूर जाना चाहती थी इसलिए वो दिल्ली जाने के बारे में सोचने लगीं. उधर साराभाई किसी भी तरह से कमला को अहमदाबाद में रोके रखना चाहते थे, इसलिए पहले उन्हें फिज़िकल रिसर्च लैबोरेट्री की डायरेक्टरशिप ऑफर की. फिर लंदन के टैविस्टॉक इंस्टिट्यूट से गुहार लगाई कि उनका एक सेंटर अहमदाबाद में भी खोल दिया जाये. लेकिन बात नहीं बनी, उसके बाद विक्रम साराभाई ने सरकार से पैरवी की और कहा कि बॉम्बे को छोड़कर अहमदाबाद में आईआईएम खुलवाया जाए और ऐसा हो गया. अहमदाबाद में आईआईएम खुला और कमला चौधरी उसकी पहली रिसर्च डायरेक्टर बनीं. इस तरह से विक्रम साराभाई ने अपने प्यार को पास रखने के लिए देश के टॉप इंस्टीट्यूट की शुरुआत की.

वाकई कमला के लिए विक्रम साराभाई का प्यार सच्चा था और आज उनके प्यार का फायदा सैकड़ों छात्रों को मिल रहा है, जो आईआईएम अहमबदाबाद जैसे प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट में पढ़ रहे हैं.

Kanchan Singh

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